ब्रैस्ट कैंसर, गंभीर बीमारी है। हम सभी इस बीमारी के बारें में जानते है। पर शायद यह नहीं जानते है कि थोड़ी सी जागरूकता और बीमारी के निवारण के लिए जल्द उठाये गए कदम, इस समस्या से लड़ने और इसे हराने में हमारी मदद कर सकते है। तथ्य यह बताते है कि अब यह बीमारी 30 से 50 साल के आयु वर्ग की महिलाओं को होती है। जबकि कुछ समय पहले इसका आयु वर्ग 50-70 साल होता था। कम होती आयु का आंकड़ा यह साफ़ दर्शाता है कि जानकारी होने बाद भी अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही का व्यवहार इस समस्या को और भी गंभीर बना रहा है।
महत्वपूर्ण बातें :
क्या कदम उठाएं :
- यदि आपके परिवार में कोई ब्रैस्ट कैन्सर से पीड़ित है तो आपको आना विशेष ध्यान देने की जरुरत है।
- ब्रैस्ट कैंसर केवल महिलाओं की बीमारी नहीं है। पुरुष भी इस समस्या का शिकार बन सकते है।
- बहुत से रिसर्च इस बात का प्रमाण देते है कि गर्भ निरोधक दवाइयों का सेवन करने वाली महिलाओं के ब्रैस्ट कैंसर से ग्रसित होने की आशंकाएं अधिक होती है।
- फैट युक्त भोजन अधिक सेवन करना भी इस समस्या को निमंत्रण देने के समान है। साथ ही नियमित रूप से शराब का सेवन भी इस समस्या को जन्म देने में सहायक होता है।
- कई लोगो का मानना है कि जिन महिलाओ के ब्रैस्ट का आकार बड़ा और भरी होता है वे इस समस्या का ज्यादा शिकार होती है जबकि वास्तविकता यह है की ब्रैस्ट कैंसर का स्तनों के आकार या भारीपन से कोई सम्बन्ध नहीं होता है।
- इस समस्या का एक कारण तनाव भी है। इसलिए एक्सरसाइज करें और तनाव मुक्त रहने का प्रयास करें।
- स्तनों के आकर में बदलाव दिखे।
- निप्पल से रक्त या किसी अन्य प्रकार का डिस्चार्ज हो।
- स्तनों के रंग में बदलाव आने पर।
- निप्पल का टाइट होने पर या स्तनों में भारीपन महसूस होने पर।
- किसी प्रकार की गाँठ महसूस होने पर।
- स्तनों में असहनीय दर्द होने पर।
क्या कदम उठाएं :
- हर महीने मासिक धर्म के आने के एक सप्ताह के बाद स्वयं अपने स्तनों की जाँच करें। इसे ब्रैस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन (BSE) कहते है। सही तकनीक जानने के लिए आप अपनी गयनाकोलोगिस्ट की मदद ले सकते है।
- 20 से 40 साल के बीच साल में एक बार अपने डॉक्टर से जाँच अवश्य कराये।
- 40 के बाद हर तीन साल में एक बार अवश्य मेमोग्राम कराएँ।
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