
जैसे ही हमारे बुजुर्ग पचास साल की उम्र के करीब पहुंचते हैं, उन्हें हडिडयों और जोड़ों का दर्द परेशान करने लगता है। ऐसे में बुजुर्ग ना तो सीढि़यां चढ़ पाते और ना ज्यादा दूर तक बिना सहारे के चल-फिर पाते हैं। इसकी शुरुआत घुटनों में हल्के दर्द के साथ होती है। धीरे-धीरे यह दर्द हाथों की अंगुलियों के जोड़ों में भी आ जाता है। यह दर्द हिलने-डुलने से बढ़ता जाता है। तो आइए, हम बताते हैं आपको अपने एक्सपर्ट के साथ कि कैसे जोड़ों के दर्द से निजात पायी जा सकती है।
एलएलएम अस्पताल के हडडी रोग विशेषज्ञ डाॅ. अनुराग जैन बताते हैं कि हड्डी और जोड़ों का दर्द बहुत तकलीफदेह हो सकता है। इनमें से कुछ समस्याओं के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। अधिकांश समस्याएं दवाओं से ठीक हो जाती हैं। लेकिन जोड़ों का दर्द ऐसा होता है जो बुढ़ापे में पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता लेकिन इसके साथ आप कुछ उपाय करके बिना परेशानी के अपना जीवन जी सकते हैं।
हड्डियों के दर्द का कारणः
हड्डियों का दर्द चोट या इन दूसरी परिस्थितियों के कारण होता है, जैसे-
बोन कैंसर वह कैंसर जो हड्डियों तक फैल चुका हो जिसे मेटास्टेटिक मैलिग्नेंसी कहते हैं।
हड्डियों को रक्त की आपूर्ति में अवरोध जैसा कि सिकल सेल एनीमिया में होता है।
हड्डियों में संक्रमण जिसे ऑस्टियोमायलिटिस कहा जाता है।
ल्यूकेमिया या रक्त कैंसर भीे दर्द का कारण बन सकता है।
हड्डियों में खनिज पदार्थों की कमी या ऑस्टियोपोरोसिस।
कैपेसिटी से अधिक श्रम करना।
जोड़ों के दर्द के कारणः
ज्वाइंट पेन या जोड़ों का दर्द चोट या इन अन्य कारणों से हो सकता है, जैसे-
अर्थराइटिस, ऑस्टियोअर्थाराइटिस, रयूमेटॉयडअर्थाराइटिस से जोड़ों में परेशानी हो जाती है।
ऑस्टियोकोंड्राइटिस की वजह से भी जोड़ों में दर्द होने लगता है।
सिकल सेल रोग या सिकल सेल एनीमिया भी जोड़ों में दर्द का कारण बन सकता है।
स्टेरॉयड ड्रग भी कुछ लोगों में परेशानी का कारण बन जाती हैं क्योंकि कभी-कभी ये बहुत अधिक मात्रा में ले ली जाती हैं जो नुकसानदायक होती हैं।
कार्टिलेज फटने की वजह से जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है क्योंकि घायल कार्टिलेज की वजह से चलने-फिरने पर दर्द महसूस होता है।
जोड़ों का संक्रमण भी जोड़ों के दर्द का कारण बन जाता है।
ट्यूमरः अगर किसी जोड़ की जगह टयूमर बन गया तो उससे चलने-फिरने में बहुत परेशानी होती है।
घिसा हुआ लिगामेंटः उम्र बढ़ने के साथ-साथ जोड़ों का लिगामेंट घिस जाता है। जिससे सही तरीके से जोड़ काम नहीं कर पाते और दर्द महसूस होता है।
कार्टिलेज का घिसनाः उम्र के साथ ज्यादातर बुजुर्गों के घुटनों का कार्टिलेज घिस जाता है। इससे घुटने सही तरीके से काम नहीं कर पाते।
हड्डियों और जोड़ों के दर्द के लक्षण हैं.
चलने, खड़े होने, हिलने-डुलने और यहां तक कि आराम करते समय भी दर्द।
सूजन और क्रेपिटस।
चलने पर या गति करते समय जोड़ों का लॉक हो जाना।
जोड़ों का कड़ापन, खासकर सुबह में या यह पूरे दिन भी रह सकता है।
वेस्टिंग और फेसिकुलेशन।
अगर बुखार, थकान और वजन घटने जैसे लक्षण हों, तो कोई गंभीर अंदरूनी या संक्रामक बीमारी हो सकती है। ऐसे में आपको डॉक्टर से तुरंत बात करनी चाहिए।
जांच और रोग की पहचान
डॉ. अनुराग बताते हैं कि रोग की पहचान करने के लिए आपके चिकित्सकीय इतिहास के बारे में पूछा जाता है और शारीरिक जांच की जाती हैं। चिकित्सकीय इतिहास में दर्द की जगह, दर्द के समय, पैटर्न और किसी भी अन्य संबंधित तथ्य से जुड़े सवाल पूछे जा सकते हैं। इनमें से कोई एक, या अधिक जांच किये जा सकते हैं.
हड्डियों और जोड़ो का एक्स-रे, जिसमें हड्डियों का एक स्कैन शामिल है।
हड्डियों और जोड़ो का सीटी या एमआरआई स्कैन।
होर्मोन के स्तर का अध्ययन।
पिट्यूटरी और एड्रीनल ग्रंथि की कार्यक्षमता का अध्ययन।
यूरीन का अध्ययन
उपचार
जोड़ों के दर्द को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। अगर आपकी समस्या उग्र या साधारण है, आप ओटीसी दर्दनिवारकों का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन अगर आपका दर्द लगातार बना हुआ है या किसी चोट या कटने या सर्जरी के बाद शुरू हुआ है, तो डॉक्टर से मिलें।
पोषक तत्वः
इससे बचने के लिए विशेषज्ञ अपने आहार में ऐसे फलों और सब्जियों को शामिल करने की सलाह देते हैं जिनमें विटामिन, एंटीऑक्सीडेन्ट्स और पौष्टिक तत्व उचित मात्रा में मौजूद हों। कुछ खाद्य-पदार्थो का सेवन और कुछ बातों का ध्यान रखकर इस रोग पर काबू पाया जाया सकता है।
आराम करना और गर्म सेंक देनाः
साधारण चोट या मोच में आराम और गर्म सेंक के उपयोग से दर्द से राहत पाने में सहायता मिलती है।
व्यायामः
सामान्य हल्के व्यायाम अर्थाराइटिस या फाइब्रोमाइल्जिया के रोगियों में जोड़ों की गतिशीलता बढत्रष्ष् घआनेत्रष्ष् करतेत्रष्ष् कोत्रष्ष् कउ़ीत्रष्ष् मांसपेशियोंत्रष्ष् मददत्रष्ष् मेंत्रष्ष् मिलेंत्रष्ष् विदजत्रष्ष् हेंत्रष्ष् पहुंचानेत्रष्ष् पातेत्रष्ष् राहतत्रष्ष् सेत्रष्ष् उपायत्रष्ष् उॉकअरत्रष्ष् दद्रत्रष्ष् दुखतीत्रष्ष् देत्रष्ष् तोत्रष्ष् नहींत्रष्ष् आपकोत्रष्ष् आरामत्रष्ष् ओरत्रष्ष् अगरत्रष्ष्झ
इसके अलावा भी कुछ घरेलू उपचार हैं-
अदरक जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने के लिए बहुत कारगर है। रोजाना दो सौ ग्राम अदरक दो बार लेने से दर्द में बहुत राहत मिलती है।
फूलगोभी का रस पीते रहने से जोड़ों के दर्द में लाभ मिलता है।
जोड़ों पर नीबू के रस की मालिश करने से और रोजाना सुबह एक गिलास पानी में एक नीबू का रस निचोड़ कर पीते रहने से जोड़ों की सूजन दूर हो जाती है और दर्द नहीं रहता।
जोड़ों में दर्द के समय या बाद में गर्म पानी के टब में कसरत करें या गर्म पानी के शॉवर के नीचे बैठें। आपको निश्चित ही राहत मिलेगी।
दर्द घटाने के बाम, क्रीम आदि बार-बार इस्तेमाल न करें। इनके द्वारा पैदा हुई गर्मी से राहत तो मिलती है, पर धीरे-धीरे ये नुकसान पहुंचाते हैं।
कभी भी दर्द निवारक बाम लगाकर उस पर सेंक न करें। इससे जलन बहुत बढ़ सकती है।
जोड़ों के दर्द के लिए चमत्कारिक दवाएं तेल या मालिश वगैरह के दावे बहुत किए जाते हैं। इनको इस्तेमाल करने से पहले एक बार परख लें।
अगर आप जोड़ों के दर्द से परेशान है तो स्टोरी में बताई गई बातें आपको काफी हद तक लाभ पहुचायेंगी। तो आप इन बातों को अपनाकर काफी हद तक जोड़ों के दर्द से निजात पा सकते हैं।
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