
बरसात के सुहाने मौंसम का सभी को इंतिजार रहता है। कुछ लोग इसे गर्मी से निजात दिलाने के लिए पसंद करते है, तो कुछ रोमेंटिकता के लिए। अब जनाब आप पसंद भी क्यों ना करें, ये मौसम ही कुछ ऐसा है। जनाब यही जो मौसम होता है भीनी-भीनी बारिश में रोमेंश का। आप भी सोच रहे होगे कि इस मौसम का क्यों ना लुत्फ उठाया जाये। तो उठाइए जनाब कौन मना कर रहा है, मगर सावधान क्योंकि इस मौसम में थोड़ी सी असावधानी आपको किसी संक्रामक बीमारी का शिकार बना सकती है। तो आइए हम बताते है आपको, इस मौसम का कैसे लुत्फ उठाया जाये और कैसे इस मौसम की बीमारियों से बचा जाये।
कब उठायें बरसात का मजा
याद रहे बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा बीमारियां फैलती हैं। ये बात सही है कि बरसात का पानी शुद्ध होता है, मगर जनाब वो शुद्ध वातावरण में रहे तभी तो शुद्ध रहेगा। मौसम की पहली दूसरी बारिश से तो खास करके बचना चाहिए, क्योकि इसमें सबसे ज्यादा अशुद्ध पानी होता है। जब दो तीन बरसात हो जायें तब आपको संक्रमण का बहुत कम खतरा रहता है।
किसे है इंफेक्शन का खतरा
वैसे तो किसी को भी इंफेक्शन हो सकता है, मगर खास करके उन लोगों को जिनकी इम्यूनिटी यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है जैसे बुजुर्गों और बच्चों या फिर किसी बीमारी से ग्रस्त मनुष्य की ? बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा खतरा रहता है सांस यानि रेस्पिरेट्री बीमारी, खाने और पीने से संबंधित बीमारी और लेप्टोस्पाइरोसिस का।
सांसों से संक्रमण
सांस की बीमारियां बड़ी ही आसानी से एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में फेल जाती हैं। कसी भी संक्रमित मनुष्य के संपर्क में आने से आपको भी संक्रमण का खतरा हो सकता है। किसी संक्रमित मनुष्य द्वारा थूका गया बलगम भी आपको संक्रमित कर सकता है। इस मौंसम में ज्यादातर कोमन कोल्ड, फलू और कई तरह के रेस्पीरेट्री इंफेक्शन होते हैं।
फूड और वाटर-बोर्न इंफेक्शन
ये इंफेक्शन बरसात के दिनों में बहुत ही बडी रेंज में फैलने लगता है। सबसे पहले ये इंफेक्शन गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रेक्ट को संक्रमित करता है। इसके बाद डायरिया और वोमेंटिंग शुरू हो जाती है। डायरिया को फैलाने वाली सेलमोनेला और शिंजेला बैक्टीरिया की कई जातियां होती हैं जो ज्यादातर संक्रमित खाने और पानी से फैलती हैं। सेलमोनेला टाइफी, टाइफाइड फीवर के लिए जिम्मेदार होती हैं जिससे हाई फीवर, सिर दर्द, एब्डोमिनल पेन और डायरिया होता है। टाइफाइड फीवर के होने से कई सारे काॅप्लिीकेशन हो जाते हैं जैसे निमोनिया, मेंनिन्जाइटिस और शारीर के दूसरे भागों के डेमेज होने का खतरा हो जाता है।
खतरा लेप्टोस्पाइरल का
लेप्टोस्पाइरल में मरीज बहुत सीरियस बीमार हो जाता है। ये एक ऐसे बैक्टीरिया से फैलता है जिसे कई घरेलू और जंगली जानवर फैलाने का काम करते हैं। इससे किडनी डेमेज, लिवर और फेफड़ों का फेल हो जाना तथा मेंनिन्जाइटिस होने का खतरा रहता है। जो लोग ऐसी मिटटी और पानी के संपर्क में आते हैं जो संक्रमित जानवर के पेशाब से संक्रमित हो उन्हें इसका खतरा हमेशा बना रहता है।
कैसे बचें इंफेक्शन से
बरसात के मौसम में घर से निकलने से पहले छाता और रेनकोट लेने का खास ख्याल रखें।
ऐसे एरिया में जाने से बचें जो भीड़-भाड़ वाला हो और जहां बहुत ज्यादा गंदगी हो।
पीने के पानी का खास ख्याल रखें। हो सके तो ऐसे मौसम में उबला हुआ पानी ही पीयें।
अगर आप बाहर खाने का मन बना रहे हैं तो सुरक्षित जगह ही चुनें। सडक के किनारे खाने से बचें।
ऐसे मौसम में खुले ड्रम और पुराने टायर में पानी न भरने दें। क्योंकि मच्छर के पनपने का ये सबसे अच्छा जरिया होते हैं।
बाढ़ और बरसात के पानी में नहाने और तैरने से बचें।
खाना खाने से पहले हाथ किसी अच्छे हैंडवाॅश से साफ कर लें।
इंफेक्शन में फूड
शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए मिनरल जैसे आयरन, विटामिन्स की जरूरत होती है। ये पोषक तत्व सामान्तः हरी सब्जियों, मौसमी फलों और दूध में पाये जाते हैं। ध्यान रहे फल व सब्जियों को पूरी तरह साफ करके ही खाना चाहिए।
अगर बताई गई कुछ बातों पर खास ख्याल रखेंगे तो आप बरसात के मौंसम को पूरी तरह से इंजोय कर सकते हैं।
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