मंगलवार, 5 जून 2012

जिन्दादिली और सही खान-पान से दें कैंसर को मात













आज क्रिकेटर युवराज सिंह का उदाहरण हम सबके सामने है। कैसे इस इंटरटेनिंग क्रिकेटर ने जांबाजी के साथ कैंसर से छूटकारा पाया। युवराज सिंह बताते हैं कि कैंसर से निपटने के लिये जागरूकता जरूरी है जिसका भारत में अभाव है। युवराज ने कहा कि मैने अमेरिका में 60-ंउचय65 साल के लोगों को आराम से कीमोथेरेपी कराते देखा। मैं उनसे प्रेरणा लेता था। लेकिन भारत में कैंसर को लेकर काफी डरा दिया जाता है जबकि ऐसा है नहीं। उन्होंने कहा कि मैने खुद को एक मिसाल के तौर पर सामने रखने की कोशिश की कि कैंसर से डरने की जरूरत नहीं है। यदि मैं इससे निपट सकता हूं तो कोई भी निपट सकता है।

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका मरीज के सामान्य स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पडता है। इतना ही नहीं, कैंसर के इलाज के चलते मरीज के आहार पर भी बुरा असर पडता है। इलाज पूरी तरह असरदार हो, इसके लिए जरूरी है कि आहार में कुछ सावधानियां बरती जाएं। कैंसर के रोगियों की डाइट उनके स्वास्थ्य के हिसाब से कैसी होनी चाहिए आइए जानें।

पोषण की कमी

कैंसर की बीमारी कई तरह से मरीज के आहार पर बुरा प्रभाव डालती है। आम तौर पर कैंसर के मरीजों की भूख मिट जाती है, यह सबसे सामान्य समस्या है। इसके परिणामस्वरूप आहार की मात्रा और आवश्यक पोषक पदार्थो जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा और खनिज लवण की कमी शरीर में आ जाती है।

कैंसर के बहुत से मरीजों का आहार इसलिए भी कम हो जाता है, क्योंकि बीमारी उनके पाचन तंत्र के विभिन्न अंगों जैसे इसोफैगस, पेट, छोटी या बडी आंत, लीवर, गाल ब्लैडर और पैंक्रियाज को प्रभावित कर देती है।

कई मरीजों की आंत के अंदर रुकावट उत्पन्न होने से खाने के दौरान दर्द, मरोड़ और कभी-ंउचयकभी उल्टी की समस्या हो जाती है। मरीज का वजन घट जाता है। मांसपेशियों की मात्रा भी घट जाती है। इससे कमजोरी आ जाती है और मरीज बहुत जल्द थक जाता है। शारीरिक काम करने की क्षमता घट जाती है। घाव या जख्म भरने में अधिक समय लगता है और बीमारी से लडने की क्षमता या इम्युनिटी भी घट जाती है। ऐसे में कैंसर के मरीजों को संक्रमण का डर बना रहता है।

क्या खाएं

ऐसे मरीजों को पोषक आहार लेना चाहिए ताकि पोषण संबंधी जरूरतें पूरी हों। कार्बोहाइड्रेट से भरपूर आहार एक अच्छा उपाय है। हालांकि मधुमेह के रोगियों को इस मामले में सतर्क रहना चाहिए। कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेने के बाद तुरंत ऊर्जा मिलती है और पाचन सही होता है। कम मात्रा में अधिक बार आहार शरीर को लगातार ऊर्जा देने का अच्छा तरीका है।

प्रोटीन

मांसपेशियों के विकास और काम के लिए ऊर्जा प्राप्त करने के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी है। इसके अलावा घाव भरने, बीमारी से लड़ने और खून का थक्का जमने जैसी विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के लिए भी प्रोटीन अनिवार्य है। अंडा, मीट, मसूर की दाल, मटर, बींस, सोया और नट्स आदि प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं।

विटमिंस व मिनरल्स

ऐसे मरीजों में विटमिंस और मिनरल्स की कमी आम समस्या है, क्योंकि इन दोनों तत्वों की मांग अधिक और आपूर्ति कम होती है। इसलिए उचित आहार के साथ बेहतर पोषण के लिए विटमिन और मिनरल की अतिरिक्त खुराक जरूरी है। जो चिकित्सक के परामर्श से ली जा सकती है।

तरल पदार्थ

कैंसर के मरीजों को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करना जरूरी है। इससे डीहाइड्रेशन का डर नहीं रहता है और उनके संपूर्ण स्वास्थ्य की स्थिति बेहतर होती है। अधिक तरल पदार्थ लेने से उचित मात्रा में यूरिन निकलता है और शरीर से विषैले पदार्थ भी निकल जाते हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि आसानी से पचने वाले आहार लें। तला-ंउचयभुना, बहुत मसालेदार या फिर अधिक ठोस आहार न लें। कम मात्रा में अधिक बार खाने से पाचन आसान हो जाता है और पेट भी भारी नहीं लगता। इससे मितली या उल्टी का डर भी कम हो जाता है।

कीमोथेरेपी के मरीज

कैंसर के मरीजों के लिए कीमोथेरेपी एक आम उपचार है, जो चार से छह महीने तक चलता है। इस दौरान आहार संबंधी कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले तो यह कि कीमोथेरेपी के पहले दिन और उससे एक.दो दिन बाद तक भूख कम लगती है। मितली और कई बार उल्टी भी आती है। उल्टी से बचने की दवाइयां दी जाती हैं। इस अवधि में आहार में अधिक मात्रा में ऐसे तरल और नर्म खाद्य पदार्थो का सेवन करना चाहिए जिनसे एनर्जी तुरंत मिल जाए और इसके बाद मरीज को सामान्य ठोस आहार या आधा ठोस आहार लेना चाहिए।

कीमोथेरेपी वाले रोगियों को दैनिक आहार लेने का मन नहीं करता या उन्हें खाना बेस्वाद लगता है। खाने की सुगंध बदलकर या वैकल्पिक आहार देकर इस समस्या का समाधान संभव है।

कीमोथेरेपी से शरीर के भीतर श्वेत रक्त कोशिकाओं या डब्ल्यूबीसी की संख्या घट सकती है। इससे संक्रमण का खतरा ब-सजय जाता है। इसलिए कैंसर के मरीज को स्वस्थ आहार लेना चाहिए। इन्हें घर से बाहर नहीं खाना चाहिए।

घर पर भी ताजा पका खाना बेहतर होता है। कच्चा, बासी और स्टोर्ड फूड से बचना चाहिए, क्योंकि इनसे संक्रमण का अधिक खतरा रहता है। उपचार के इस चरण में ताजा फलों के जूस से भी परहेज करना चाहिए। फल-ंउचयसब्जियों को अच्छी तरह धोकर खाना चाहिए। दूध हमेशा उबाल कर पीना चाहिए।

रेडियोथेरेपी के मरीज

चेहरे और गर्दन की रेडियोथेरपी कराने वालों में सेंसिटिविटी और अल्सरेशन या फोडे का खतरा रहता है। जिसके कारण निगलने में दिक्कत होती है। इसलिए ऐसे लोगों को लिक्विड और लाइट डाइट लेने की सलाह दी जाती है। इन्हें तले-ंउचयभुने, मसालेदार और गर्म खाद्य पदार्थो से परहेज करना चाहिए। यदि बहुत दर्द हो तो नियमित रूप से दर्द दूर करने की दवा ली जा सकती है। इससे दर्द बेकाबू नहीं होता।

ऐसे मरीज के मुंह का स्वाद खराब होने और मुंह के अंदर सूखेपन की शिकायत भी कर सकते हैं। रेडियोथेरेपी के दौरान और उसके बाद भी उनके लिए सादा, नर्म आहार और पूरक के तौर पर पर्याप्त तरल पदार्थ लेना अच्छा रहता है।

धूम्रपान और मद्यपान से मुंह-ंउचयगले के अंदर म्यूकोसाइटिस की समस्या ब-सजय जाती है। इसलिए रेडिएशन के दौरान ये बिलकुल वर्जित हैं। पेट के निचले भाग की रेडियोथेरेपी कराने वाले मरीजों में पेट खराब होने की शिकायत हो सकती है। उन्हें दही, चावल, कम फाइबर वाले आहार और साथ ही प्रो बायोटिक सप्लीमेंट लेने से लाभ मिल सकता है।

सर्जरी के मरीज

सर्जरी के बाद मरीज को अधिक कैलरी, प्रोटीन, विटमिंस और मिनरल्स चाहिए ताकि जख्म जल्दी भर सकें। सर्जरी के बाद जितनी जल्दी संभव हो मुंह से आहार देना शुरू कर दिया जाता है। कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन से भरपूर आहार और साथ ही मिनरल्स एवं विटमिन ऐसे मरीजों के लिए वरदान होता है।

फीडिंग ट्यूब से आहार

कैंसर के बहुत से मरीजों को फीडिंग ट्यूब से आहार दिया जाता है, क्योंकि वे सामान्य रूप से आहार नहीं ले सकते हैं। यह ट्यूब नाक के जरिये या फिर सीधे पेट में डाला जाता है। ट्यूब से केवल तरल आहार दिया जाता है। ट्यूब के आकार के अनुसार भी आहार तय किए जाते हैं। ट्यूब छोटा हो तो बहुत पतला तरल आहार दिया जाता है, लंबा और उसकी सूराख मोटी हो तो कुछ मोटा तरल आहार भी दे सकते हैं।

ऐसे मरीजों के लिए एक अच्छा रास्ता यह है कि घर पर तैयार खाने को मिक्सर ग्राइंडर में पीस कर और छान कर दिया जाए, ताकि उसमें ठोस भाग न रह जाए। पूरक आहार के पाउडर भी ट्यूब के जरिये दिए जा सकते हैं।

चूंकि बहुत से मरीज आम तौर पर पर्याप्त आहार लेने में असमर्थ होते हैं, इसलिए पूरक आहार की अहमियत ब-सजय जाती है। इस तरह उनका स्वास्थ्य बेहतर रहता है। ऐसे बहुत से पूरक आहार हैं जिनसे कैलरी, प्रोटीन, विटमिन और मिनरल्स मिलते हैं। कुछ सप्लीमेंट तो खास तौर पर प्रोटीन से भरपूर होते हैं।

पाउडर सप्लीमेंट को दूध में मिलाकर या फिर पानी के साथ ट्यूब के जरिये दिया जा सकता है। तरह-ंउचयतरह के स्वाद में उपलब्ध ये सप्लीमेंट मरीजों को मनपसंद चुनने का विकल्प देते हैं।

जैसा कि युवराज सिंह बताते है कि सभी दवाईयों और डाॅक्टरों के साथ खुद का पाॅजीटिव नजरिया बहुत मायने रखता है। अगर आप ये मानकर चलते है कि में इस बीमारी से लड़ सकता हूं तो वाकई आप इस पाॅजीटिव माइंड के साथ स्टोरी में बताई गई बातों को अपनाकर कैंसर को हंसते हुए मात दे सकते हैं।

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