मंगलवार, 5 जून 2012

कूल डाईट इन गर्मी












चुभती गर्मी से राहत पाने के लिए बाहरी चीजों को तो हम सभी तवज्जो देते हैं लेकिन खाने को भूल जाते हैं, जबकि मौसम के मुफीद खाना हमारी सेहत के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। एक्सपर्ट्स से बात करके गर्मियों में क्या खाना चाहिए, क्या नहीं, इस बारे में जानकारी दे रहे है राजेश राना।

क्या खायें
ध्यान रखें, खाना हल्का हो। उसमें फैट कम हो। गर्मियों में भारी फूड आइटम आसानी से नहीं पचते। मौसमी सब्जियां जैसे घिया, पत्ता गोभी, तोरी, टिंडा, सीताफल आदि खूब खाएं। लंच और डिनर में हल्का और जल्दी पचनेवाला कुछ भी खा सकते हैं।

ब्रेकफस्ट या स्नैक्स में भेलपुरी, ढत्रष्ष् ीाापत्रष्ष् पकीत्रष्ष् पोहात्रष्ष् राइसत्रष्ष् चीजेंत्रष्ष् जेसेत्रष्ष् ओरत्रष्ष् अेसअीत्रष्ष् लाइअत्रष्ष्झ

अंडा और नॉनवेज गर्मियों में हफ्ते में दो बार से ज्यादा न खाएं। इन्हें भी उबालकर या भाप में पकाकर खाएं। नॉनवेज में मछली या चिकन ले सकते हैं। मटन काफी हेवी होता है। उससे बचें। नॉनवेज को देसी घी में बनाने की बजाय दही में मेरिनेट कर बनाएं।

गर्मियों में घी और तेल का इस्तेमाल कम करें। देसी घी, वनस्पति घी के अलावा सरसों का तेल और ऑलिव ऑयल भी कम खाएं। ये गर्म होते हैं। राइस ब्रैन, नारियल, सोयाबिन, कनोला आदि का तेल खा सकते हैं।

गर्मियों की कल्पना भी आइसक्रीम के बिना अधूरी है। आइसक्रीम को पूरी तरह जंक फूड की कैटिगरी में नहीं रखा जा सकता क्योंकि इसमें दूध ड्राइफ्रूड्स आदि होते हैं लेकिन हाई कैलरी, हाई शुगर और प्रिजर्वेटिव होने की वजह से कम मात्रा में खाएं। हफ्ते में दो बार से ज्यादा बिल्कुल न खाएं। थोड़ी आइसक्रीम लेकर उसके साथ फ्रूट डालकर भी खा सकते हैं। इससे आइसक्रीम की क्वांटिटी कम हो जाती है।

लिक्विड हैं खास फायदेमंद
गर्मियों में पसीने से सबसे ज्यादा नुकसान शरीर को पानी और नमक का होता है। ऐसे में डी-हाइड्रेशन से बचने के लिए रोजाना 10-15 गिलास पानी पीना चाहिए। कम पानी पीने से यूटीआई या यूरीन ट्रैक इन्फेक्शन भी हो सकता है। गुनगुना, नॉर्मल या हल्का ठंडा पानी पिएं। मटके का पानी पीना बेहतर है। चिल्ड या बहुत ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए। बहुत ठंडे पानी से पाचन खराब होता है।

ध्यान दें जिन्हें किडनी प्रॉब्लम है, उन्हें पानी कम पीना चाहिए। वे डॉक्टर से पूछकर पानी पिएं। उन्हें सोडियम और पोटैशियम भी ज्यादा नहीं लेना चाहिए।

गर्मियों में जितना मुमकिन हो, नींबू पानी पीना चाहिए। नीबू पानी में थोड़ा नमक या थोड़ी चीनी मिलाना बेहतर है। इससे शरीर से निकले सॉल्ट्स की भरपाई होती हैं। वजन कम करना चाहते हैं तो चीनी न मिलाएं। नमक भी कम डालें।

नारियल पानी को मां के दूध के बाद सबसे बेहतर और साफ पेय माना जाता है। नारियल पानी प्रोटीन और पोटैशियम का अच्छा सोर्स है। इसका कूलिंग इफेक्ट भी काफी अच्छा है, इसलिए एसिडिटी और अल्सर में भी कारगर है। शुगर के मरीज भी नारियल पानी पी सकते हैं।

छाछ में प्रोटीन खूब होते हें। ये शरीर के टिश्यूज को हुए नुकसान की भरपाई करते हैं। मीठी लस्सी कम पिएं। छाछ जितनी चाहें, पी सकते हैं। छाछ को आयुर्वेद में अच्छा अनुपान माना जाता है।

ठंडाई में बादाम, सौंफ, गुलाब की पत्तियां, मगज और खस के बीज आदि होते हैं। इसे दूध में मिलाकर लिया जाता है। अगर शुगर लेवल ठीक है तो यह एक अच्छा पेय है।

वेजिटेबल जूस पीने से बेहतर है सब्जियां खाना। फिर भी जो लोग सब्जियों का जूस पीना चाहते हैं, वे घिया, खीरा, आंवला, टमाटर आदि का जूस मिलाकर पी सकते हैं।

फ्रूट जूस में सिर्फ फ्रैकटोज होते हैं, जबकि साबुत फल में फाइबर होता है, इसलिए जूस के मुकाबले साबुत फल खाना हमेशा बेहतर है। गर्मियों में मौसमी या माल्टा का जूस काफी फायदेमंद है। इसी तरह, तरबूज का जूस गर्मियों का बेहतरीन पेय है लेकिन जितना मुमकिन हो, तरबूज जूस घर का ही पिएं।

जब तक जरूरी न हो, पैक्ड जूस न पिएं। इनमें शुगर काफी ज्यादा होती है और प्रिजर्वेटिव भी खूब होते हैं। पैक्ड जूस पीना ही चाहते हैं तो अच्छी कंपनी का खरीदें।

मिल्क शेक डबल टोंड दूध का बनाएं। शेक में फल और चीनी कम डालें, ताकि कैलरी कंट्रोल में रहें। केला और सेब का शेक बनाकर रखने से ऑक्सिडाइज्ड हो जाता है।

आम पना गर्मियों का खास ड्रिंक है। कच्चे आम की तासीर ठंडी होती है। टेस्ट से भरपूर आम पना विटामिन-सी का अच्छा सोर्स है।

बेल का शरबत एसिडिटी और कब्ज, दोनों में असरदार है। कच्चे बेल का शरबत लूज मोशंस को रोकता है तो पके बेल का शरबत कब्ज को ठीक करता है। इसका कूलिंग इफेक्ट भी काफी अच्छा होता है। यह अल्सर को भी ठीक करता है।

फ्रूट चाट जितनी स्वाद के लिहाज से अच्छी है, उतना सेहत के लिहाज से नहीं। वजह यह है कि सारे फलों का डायजेशन अलग-अलग वक्त पर होता है। इनका मिजाज भी अलग-अलग होता है। मसलन, केला अल्कलाइन है तो संतरा एसिडिक। अगर फ्रूट सलाद खाना ही चाहते हैं तो इसमें ऐसे फल रखें, जिनमें कार्ब और फैट ज्यादा न हों। मसलन केला, आम या चीकू कम रखें।

इन पर रखें कंट्रोल
गर्मियों में तला-भुना नहीं खाना चाहिए। तली-भुनी चीजें शरीर में आलस पैदा करती हैं। इसकी बजाय उबला, भुना या भाप में पका खाना खाएं। गर्म मसाले कम कर दें। लाल मिर्च की बजाय काली मिर्च का इस्तेमाल करें।

चाय-कॉफी कम पिएं। इनसे बॉडी डी-हाइड्रेटेड होती है। ग्रीन-टी पीना बेहतर है।

स्मोकिंग कम करें। अल्कोहल बिल्कुल न लें या फिर कम लें। लोग मानते हैं कि बियर ठंडी होती है, जोकि गलत है। ज्यादातर बियर में ग्लिसरीन होती है, जिससे शरीर डी-हाइड्रेटेड होता है।

ड्राइफ्रूट्सः गर्मियों में 5-10 बादाम रोजाना खा सकते हैं। इन्हें रात भर भिगोकर खाना चाहिए। बाकी ड्राइ-फ्रूट्स को गर्मियों में खाने की सलाह नहीं दी जाती। खाना ही चाहते हैं तो बिल्कुल लिमिट में खाएं।

शहद की तासीर काफी गरम है। इसे सोच समझकर कम मात्रा में लें।

फ्रोजन फूड इमरजेंसी में ही खाना चाहिए। फ्रोजन फूड हाइजीन और टेंपरेचर के हिसाब से सही नहीं होता।

बासी खाना रू बासी खाने से बचें। इसमें बैक्टीरिया पनपने की आशंका काफी ज्यादा होती है। एक रात से ज्यादा पुराना खाना न खाएं। कोई भी खाना 7.8 घंटे तक ही ठीक रहता है।

बासी खाने से बचें। इसमें बैक्टीरिया पनपने की आशंका काफी ज्यादा होती है। एक रात से ज्यादा पुराना खाना न खाएं। कोई भी खाना 7-8 घंटे तक ही ठीक रहता है।

इस मौसम में उड़द या राजमा ज्यादा नहीं खाना चाहिए क्योंकि ये शरीर में पित्त यानी गर्मी बढ़ाते हैं। लेकिन स्प्राउट्स यानि अंकुरित दालें में सभी दालें मिलाकर खा सकते हैं क्योंकि स्प्राउट्स की तासीर ठंडी हो जाती है।
अगर आप बताई गई कुछ बातों को अपना लेंगे तो वाकई चिलचिलाती इस गर्मी में अपने आप को काफी हद तक सुकून दिला सकते है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें