गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

उम्र पचपन की स्किन बचपन की





राजेश राना
जैसे-जैसे उम्र बपोषक तत्वों की कमी हो जाती है और शरीर कमजोर होने लगता है। इसकी वजह से कई बीमारियां घर करने लगती हैं। जिनमें स्किन की कई बीमारियां भी शामिल हैं। अगर आप ऐसी बीमारियों से जागरूक होगे, तो अपने आप को बढ़ती उम्र के साथ इन बीमारियों से बचाये रख सकेगे। तो आईए जाने कौन सी बीमारियां है जो बढ़ती उम्र के साथ आपको परेशान करती हैं और कैसे इनसे छूटकारा पाया जा सकता है।

किन बीमारियों का होता है खतरा-

रिंकल्स- उम्र बढ़ने के साथ-साथ रिकल्स की समस्या होने लगती है। क्योंकि शरीर में सन डेमेज की वजह से धीरे-धीरे कोलेजन टिशू डेमेज होने लगते हैं।।

एज स्पॉट्स - जैसे-जैसे उमं्र बढ़ती है वैसे-वैसे एज स्पोट की समस्या होने लगती है। ये एक नेचुरल फिनोमिना है लेकिन कभी-कभी ये बहुत तेजी से होता है।
सैगिंग या जब आपकी उम्र बढ़ती है तो ऐसे में त्वचा की कोशिकाएं डेमेज होने लगती हैं। ये इलास्टिन टिशू के डेमेज होने की वजह से होता है। जिससे त्वचा
ड्राई स्किन- उम्र बढ़ने के साथ स्किन भी ड्राई होने लगती है। शरीर में पानी की कमी की वजह से स्किन ड्राई होती है।
बैक्टीरियल इंफेक्शन्स- उम्र बढ़ने के साथ शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है जिससे शरीर की इंफेक्शन और दूसरे बाहरी हानिकारक बैक्टीरिया और वायरसों से लड़ने की क्षमता कमजोर हो जाती है। शरीर में पायी जाने वाली प्रोटेक्टिंग लेयर खत्म होने लगती है। इसकी वजह से शरीर में कई तरह के इंफेक्शन हो जाते हैं।

सोरायसिस- बढ़ती उम्र के साथ सोरायसिस की समस्या आम होने लगती है ऐसे में खुद का ख्याल रखना बहुत जरूरी हो जाता है।
गंभीर खरांश या रूरीट्स- इस बीमारी का लंबे समय तक रहना भी शरीर की इम्यूनिटी का कमजोर होना होता है।
एक्जिमा- उम्र बढ़ने के साथ एक्जिमा की समस्या भी आपको परेशान करने लगेगी अगर आपने सही तरीके से अपना ख्याल नहीं रखा तो।


एज स्पॉट्स
एज स्पाॅटस से उम्र के एक पड़ाव पर ज्यादातर लोगों को गुजरना पड़ता है। इसलिए हम बता रहे है अपने एक्सपर्ट के साथ कि कैसे ऐज स्पोट होते है और कैसे इनसे छूटकारा पाया जा सकता है। इन्हें सोलर लेन्टीजाइनस भी कहा जाता है, ये त्वचा पर चपटे स्पॉट्स हो सकते हैं जो रंग में ग्रे, काले या भूरे हो सकते हैं। ये एजिंग के सबसे कॉमन संकेत हैं लेकिन ये 40 की उम्र से पहले लोगों में अपना असर नहीं करते। ये रंग और आकार में अलग-अलग हो सकते हैं और त्वचा के उन हिस्सों पर ज्यादातर प्रकट होते हैं जो आमतौर से सन एक्सपोजर का शिकार होते हैं जैसे चेहरा, हाथ, कंधे और बाहें। ये स्पॉट्स नुकसान नहीं करते लेकिन ये कैंसर विकास जैसे लगते हैं और त्वचा कैंसर के लिये इनकी जांच जरूरी है।

लक्षण
फ्लैट स्पॉट्स या ब
भूरे, काले या ग्रे रंगों में आमतौर से प्रकट होते हैं।
ऐसे हिस्सों में सबसे ज्यादा होते हैं जो अधिक धूप का सामना करते हों जैसे हाथ, चेहरा, कंधे आदि।
आकार में भिन्न होते हैं और गुच्छों में प्रकट होने पर अधिक दिखाई देते हैं।

कारण
सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें मैलेनिन का निर्माण तेज करती हैं। मैलेनिन एक पिगमेंट है जो त्वचा को इसका कुदरती रंग देता है। ज्यादा मैलेनिन बनने से टैनिंग हो जाती है जिसे सूरज के हानिकारक रेडिएशन से बचाव के लिये बनाया जाता है। एज स्पॉट्स तब प्रकट होते हैं जब ज्यादा मैलेनिन एक जगह इक्टठा हो जाता है या सामान्य से अधिक मात्रा में बनता है।
एजिंग के साथ भी मैलेनिन अधिक बनने लगता है जिससे एज स्पॉट्स उभरते हैं।
आपमें एज स्पॉट्स होने या न होने में जेनेटिक्स की भी भूमिका होती है।

किसको होता है जोखिम-

गोरी या हल्के रंग की त्वचा होने पर एज स्पॉट्स होने की संभावना अधिक होती है हालांकि ये किसी भी त्वचा कलर पर उत्पन्न हो सकते हैं।
पहले लगातार सन एक्सपोजर रहा हो तो एज स्पोट की समस्या पैदा हो सकती है।

उपचार
एज स्पॉट्स नुकसान नहीं पहुंचाते लेकिन त्वचा कैंसर न होने की इनमें पहचान की जानी चाहिये। यदि आप एज स्पॉट्स को लेकर तनावग्रस्त हैं तो नीचे आपके लिये उपाय दिये गये हैं।

दवायें, ब्लीचिंग क्रीमें जैसे कि हाईड्रोक्विनोन को अकेले या रेटिनॉयड व किसी माइल्ड स्टेरॉयड के साथ उपयोग किया जा सकता है जिससे कुछ महीनों के वक्त में एज स्पॉट्स हल्के पड़ सकते हैं।

लेजर ट्रीटमेंटः
यह मेलानोसाईट नामक ज्यादा पिगमेंट निर्मित करने वाली सेल्स को नष्ट करता है। फुल ट्रीटमेंट के लिये कई सिटिंग की जरूरत होती है व स्पॉट्स धीरे-धीरे महीनों में धूमिल पड़ जाते हैं।

फ्रीजिंग या क्रायोथेरेपीः
अतिरिक्त मेलानोसाईट्स को नष्ट करने के लिये एज स्पॉट्स पर तरल नाईट्रोजन का प्रयोग किया जाता है।

डर्माब्रेसनः
इस मेडिकल प्रक्रिया में एब्रेसन या सैंडिंग के जरिये एपिडर्मिस की ऊपरी सतह को हटाया जाता है इससे त्वचा की नयी परत निकल आती है।

कैमिकल पील्सः
इस प्रक्रिया में एज स्पॉट्स पर एसिड प्रयोग किया जाता है जिससे त्वचा की एपिडर्मिस की बाहरी परत पील होकर निकल जाती है।
ऊंपर दिये सभी ट्रीटमेंट्स में धूप से सुरक्षा रखने की सलाह दी जाती है।

क्या है बचने के उपायः
मेडान्ता अस्पताल की सीनियर कंसंलटेंट डर्मेटोलोजी डाॅ. शैली कपूर बताती है कि त्वचा में नमी कम हो जाती है। इंटरनली भी शरीर में पानी की कमी होने लगती है। जिससे त्वचा ड्राई हो जाती है। ड्राई त्वचा ही ज्यादातर स्किन बीमारियों की वजह होती है। हम अपनी पूरी डाईट पर ध्यान नही दे पाते जिससे शरीर में न्यूट्रियेंटस की कमी हो जाती है ऐसे में कोलेजन और इलास्टिन टिशू डेमेज होने लगते हैं। क्योंकि ये सारी क्रियाएं शरीर में आॅक्सीडेशन की गति बढ़ने की वजह से होती है इसलिए भोजन में अधिक से अधिक एंटिआॅक्सीडेंट वाले भोजन को प्रमुखता देनी चाहिए।

ज्यादा सन एक्सपोजर से बचेंः
धूप में बाहर ज्यादा निकलना सीमित करें। मुख्यत सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक बाहर जाने से बचें क्योंकि इस समय सूरज की किरणें अत्यधिक हानिकारक होती हैं।

सनस्क्रीन का उपयोग करेंः
डाॅ. कपूर बताती हैं कि सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा को डेमेज कर सकती है और इन किरणों से कई स्किन बीमारियां हो जाती हैं। इसलिए धूप में बाहर जाने से आधा घंटा पहले कम से कम 30 एसपीएफ वाली सनस्क्रीन का उपयोग करें।

बचाव करने वाले कपड़े और गीयर.
लम्बी बाहों वाली शर्ट, लम्बी पैंट तथा हैट पहन कर बाहर निकलें ताकि आपका शरीर विकिरण रेडिएशन से बचा रह सके।

क्या हो डाईट
डाईट हर उम्र में शरीर को स्वस्थ बनाये रखने का अहम जरिया होता है। अगर आप डाईट संतुलित है तो आप कई बीमारियों से खुबखुद बच सकते हैं।

फलों का सेवन करेंः
लगभग सभी फलों में विटामिन सी पाया जाता है जो आपकी त्वचा को जवान एवं खुबसूरत रखता है। आम, जामुन, संतरा, मौसम्मी लीची, सेव, अंगूर, नाशपाती, पपीता, अनार, इत्यादि में से कोईं भी एक.दो फल दिन में एक दो बार अवश्य खाना चाहिए। इन फलों में विटामिन सी के अलावा विटामिन ए, विटामिन बी, एवं अन्य महत्वपूर्ण खनिज होते हैं जो आपकी त्वचा को भरपूर पोषण देते हैं।

हरी सब्जियां खाएंः
डाॅ. कपूर बताती हैं कि सब्जियों में ऐटिआॅक्सीडेंट और त्वचा को बनाये रखने वाले विटमिन्स जैसे विटामिन सी, विटामिन ई और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। इसलिए हरी सब्जियों को अधिक से अधिक खाने में लें। ये आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हीं लाभकारी होते हैं।पालक, बंदगोभी वगैरह हरी सब्जिओं के कुछ उदाहरण हैं जिनका सेवन आपको नियमित रूप से करना चाहिए।
खूब पानी पियें
स्किन की ज्यादातर समस्याएं पानी की कमी की वजह से होती हैं। इसलिए जितना हो सके पानी का सेवन करना चाहिए। जिससे त्वचा रूखी न हो पाये।
अगर आप स्टोरी में बताई गई इन बातो पर ध्यान देगें तो बढ़ती उम्र के साथ त्वचा की समस्यओं से काफी हद तक दूर रह सकते है।

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