मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

कहीं लो ब्लडप्रेशर तो नहीं


हमारी सोसायटी में हाई ब्लड प्रेशर को काफी सीरियसली लिया जाता है, लेकिन लो ब्लड प्रेशर पर लोग अक्सर ध्यान नहीं देते। जबकि सच्चाई यह है कि कई बार यह दिल के गंभीर रोग की वजह बन जाता है। अगर आपको चक्कर आ रहे या बेहोशी की समस्या है तो आपको लो ब्लड प्रेशर हो सकता है। ये किसी भी जेंडर और उम्र के लोगों में हो सकता है। लेकिन इसे हम कमजोरी या खाना न खाने की वजह से हुआ होगा मान लेते हैं। अगर आपको दिल की बीमारी है तो आप हाइपोटेंशन के शिकार आसानी से हो सकते हैं। एनीमिया और कुपोषण वाले लोग आसानी से लो ब्लड प्रेशर का शिकार हो जाते हैं। क्यों हो जाती है लो ब्लड प्रेशर की परेशानी इसी को जानने के लिए हमने बात की मूलचंद मेडीसिटी अस्पताल के कंसंलटेंट डा. ए.के. बाली से।
क्या है लो ब्लडप्रेशर
आमतौर पर इंसान का ब्लडप्रेशर दो भागों में नापा जाता है। सिस्टोलिक यानी उचच, डायस्टोलिक यानी निम्न। सिस्टोलिक प्रेशर 100-120 और डायस्टोलिक प्रेशर 60-80 एमएमएचजी की रेंज में होता है। डा. ए.के. बाली बताते हैं जब मरीज का सिस्टोलिक प्रेशर 90 एमएमएचजी से नीचे चला जाए, तो उसे लो ब्लड प्रेशर या हाइपोटेंशन कहा जाता है। लो ब्लड प्रेसर में ब्लड का सर्कुलेशन कम हो जाता है।
क्या हैं लक्षण

लो ब्लडप्रेशर के मरीजों को आमतौर पर चक्कर आना, आंखों के आगे अंधेरा छा जाना और कुछ पल के लिए बेहोशी आना प्रमुख लक्षण हैं।

ऐसे मरीज के हाथ-पैर ठंडे रहते हैं।

हर वक्त थकान महसूस करना और घबराहट होना लो बीपी के कारण हो सकते हैं।

हार्ट में मिस्ड बीट्स भी महसूस की जा सकती है।

हार्ट के डॉक्टर इस तरह के मरीजों के चेकअप में ब्लड प्रेशर में काफी डिफरेंस पाते हैं।
ऐसे मरीजों में अक्सर ब्लड प्रेशर बदलता रहता है जैसे अगर मरीज लेटा हो, बैठा हो और बाद में खड़ा हो, तो उसके ब्लड प्रेशर में काफी बदलाव आ जाता है।
क्या वजह हैं
पानी या खून की कमी, हार्ट प्रॉब्लम, सदमे, इन्फेक्शन, शरीर से ज्यादा खून बह जाना, लंग या फेफड़ों के अटैक से, हार्ट का वॉल्व खराब हो जाने के अलावा कई दवाओं से भी बीपी लो हो जाता है।
शरीर के अंदरूनी अंगों में खून का रिसाव पौष्टिक खाने की कमी व खाने-पीने में अनियमितता बरतना भी लो बीपी की वजह हो सकती हैं।
अचानक सदमा लगना, कोई भयावह दृश्य देखने या खबर सुनने से भी लो बीपी हो सकता है।
क्यों होता है ब्लड प्रेशर कम
इसके दो प्रमुख कारण हैं।
1 आर्थोस्टेटिक हाइपरटेंशन टाइप - इसमें पेशंट को खड़े होने पर चक्कर आ जाते हैं, क्योंकि उसका ब्लड प्रेशर एकदम से 20 पॉइंट से नीचे आ जाता है। यह काफी हद तक वैस्क्यूलर एवं नर्वस सिस्टम पर आधारित वैरायटी है। हालांकि ऐसा कई बार दवाओं के साइड इफेक्ट से या एलर्जी से भी हो सकता है।
2- हार्ट डिजीज की वजह से- ब्लडप्रेशर कम होना हार्ट की गंभीर बीमारी से जुड़ा हो सकता है, जिसमें हार्ट के एयॉटिर्क व माइट्रल वॉल्व की सिकुड़न स्टिनोसिस या लीकेज की बीमारी, हार्ट फेल्योर यानी लो पंपिंग कपैसिटी एवं हार्ट की स्पीड की अनियमितता, एट्रियल फिब्रिलेशन या वेंट्रीक्यूलर एब्नॉर्मल बीट्स प्रमुख हैं।
कैसे होती हैं जांच
अगर आपको लो बीपी की प्रॉब्लम है तो खासतौर पर ब्लड में हीमोग्लोबिन, प्रोटीन लेवल, इलेक्ट्रोलाइट्स, कोर्टिसोल, ग्लूकोज व थायरॉइड हार्मोन के लेवल की जांच जरूरी है। इसके अलावा ईसीजी, टिल्ट टेबल टेस्टिंग, इकोकार्डियोग्राफी, एक्सरसाइज टेस्ट व होल्टर मॉनिटरिंग इवेंट रेकॉर्डर्स एवं हार्ट की इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल स्टडी व एंजियोग्राफी जांच शामिल हैं।
क्या हैं इलाज
अगर आपको लो बीपी की समस्या है तो
एल्कोहल के सेवन से बचना चाहिए।
अधिक से अधिक हरी सब्जियों का सेवन करें क्योकि इनसे शरीर के सभी अवश्यक तत्वों की कमी को दूर किया जा सकता है।
आर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन के लिए उचित आइसोमैट्रिक एक्सरसाइज हाथ व पैरों की, इलेक्ट्रोलाइट करेक्शन, प्रोटीन व न्यूट्रीशन करेक्शन व वैस्क्यूलर टोन मेंटेनिंग एक्सरसाइज प्रमुख हैं।
हार्ट डिजीज की वजह से लो ब्लडप्रेशर के इलाज से पहले मरीज के लिए अपनी दवाओं के साइड इफेक्ट की जानकारी भी जरूरी है। हालांकि इतना तय है कि हॉर्ट की बीमारी का अच्छा इलाज ही सफलता की गारंटी है।
क्या करें जब ब्लडप्रेशर लो हो
’ तुरंत बैठ या लेट जाएं, मुट्ठियां भींचें बांधें खोलें पैर हिलायें।
’ दवाओं का साइड इफेक्ट हो, तो हॉस्पिटल ले जाना ही उचित होगा।

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