बुधवार, 18 अप्रैल 2012

तरीका सही सांसों का





सांस ही एक ऐसी प्रक्रिया है जो मनुष्य के जीवन और मरण में अंतर पैदा करती है। सांस से ही मनुष्य को पहचाना जाता है कि जीवित है या प्रांण त्याग चुका है। लेकिन जीवित मनुष्य के जीवन में सांसों का उससे भी बड़ा योगदान है। क्योंकि सांस छोड़ देने के बाद मनुष्य कुछ भी महसूस नही करता, मगर चलती सांसों के साथ वह सब कुछ महसूस करता है। मनुष्य जैसे वातावरण में रहता है सांसों के द्वारा उसके शरीर पर ऐसा ही प्रभाव पड़ता है। अगर वह अच्छे वातावरण और स्वास्थ्यवर्धक हवा के संपर्क में रहता है तो वो खुद को स्वस्थ्य बनाये रखता है लेकिन अगर दूषित वातावरण और दूषित हवा के संपर्क में रहता है तो शरीर को कई गंथीर बीमारियों का घर बना लेता है। लेकिन आज कहां रह गया है स्वस्थ्य वातावरण। हर जगह मनुष्य ने इसे गंदा कर दिया है। तो ऐसे में क्या करना चाहिए स्वच्छ सांसों के लिए जिससे शरीर स्वस्थ्य बना रहे।

अब स्वस्थ्य सांसों के लिए हर समय झरनों और पहाड़ों में तो जाया नही जा सकता,जहां की वायु अभी भी स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक है। आधुनिक जीवन शैली में हमें अपने आसियाने और कार्यक्षेत्र में ही, सही सांसों के तरीके जानने और समझने होंगे, तो आईए जाने कैसे सही सांसों से हम अपने शरीर को स्वस्थ और निरेगी बनाये रखें।

शरीर और सांसें

ये तों हम सभी जानते हैं कि शरीर और सांसों का क्या ताल्लुक है। ये ही सांसें हमारे शरीर को रोगी और निरोगी बना देती है। अगर कोई शरीर रोगी है तो सबसें पहले सांसे ही इसका हालचाल बता देती हैं। शरीर में कोई रोग होता है तो सांसें ही सबसे पहले डिस्टर्ब होती हैं। सांसों का डिस्टर्ब होना शरीर के रोगी होने का लक्षण होता है।

रोग और सांसें

कई सारी ऐसी बीमारियां हैं जो सांसों से ही फेलती हैं। जिनमें कई सारी बैक्टीरियल और वायरल बीमारियां हैं। सांसों से होने वाली बीमारियां कभी-कभी तो महामारी की तरह फेल जाती हैं। जिनमें कई तरह की फलू बीमारियां है जैसे वर्ड फलू और स्वाइंन फलू प्रमुख हैं। टीबी भी सांस से फेलने वाली बीमारियों में ही आती है। इस बीमारी से भारत की जनसंख्या का बहुत बड़ा हिस्सा प्रभावित है।

आस-पास का वातावरण और सांसें

आप जैसे वातावरण में रहेंगे और ट्रेवल करेंगे, उसी वातावरण की हवा आपके शरीर में प्रवेश करेगी। अगर आप स्वस्थ वातावरण में रह रहे हैं तो आपके शरीर में स्वच्छ हवा प्रवेश करेगी, इससे आपका शरीर स्वस्थ रहेगा और अगर आप दूषित हवा के संपर्क में रहेंगे तो दूषित हवा आपके शरीर में प्रवेश करेगी। अब इस दूषित हवा के साथ कई सारे हानिकारक तत्व आपके शरीर में प्रवेष करेंगे। ये तत्व आपके शरीर की सारी क्रियाओं को प्रभावित करेंगे। क्योंकि बाहर से ली गई आॅक्सीजन ही हमारे शरीर को जीवित रहने की शक्ति प्रदान करती है।

स्वास्थ्य और सांसें

सही स्वास्थ्य के लिए सही सांसों का होना आवश्यक है। सांसों का स्वास्थ्य से सीधा संबंध होता है। जब शरीर में किसी रोग का प्रभाव बढ़ने लगता है तो सबसे पहले सांसें ही डिस्टर्ब होती हैं। अगर किसी को हर्ट अटैक होने वाला है तो उससे पहले उस मनुष्य की सांसें तेज होने लगती हैं क्योंकि दिल को अधिक काम करने के लिए अधिक आॅक्सीजन की जरूरत होती है जो दिल तक नही पहुंच पाती क्योंकि दिल को खून की सप्लाई रूक जाती है। जब दिल को स्वच्छ और आॅक्सीजनयुक्त ब्लड ही नहीं मिलेगा तो दिल काम कैसे करेगा।

स्वस्थ्य सांसें और मस्त लाइफ

स्वच्छ सांसें के लिए सबसे जरूरी है सुबह फ्रेश होकर अनुलोम विलोम यानि नाक के एक छिद्र से लंबी सांस लो और फिर कुछ सेकेण्ड के लिए रूको फिर नाक के दूसरे छिद्र से धीरे-धीरे छोड़ो। इससे जितनी भी गंदी हवा आपके फेफड़ों में है वह पूरी तरह से साफ हो जायेगी। फेफड़ों की कार्य क्षमता भी बढ़ जायेगी। शरीर में ब्लड सर्कुलेशन भी बढ़ जायेगा। शरीर के हर कोने में स्वच्छ ब्लड पहुंचेगा। इससे शरीर की कार्यक्षमता बढ़ जायेगी। गले और फेफड़े की बीमारियां भी खत्म हो जायेंगी। ध्यान रहे ये सब स्वच्छ और खुली हवा में ही करना चाहिए क्योकि अगर आप दूषित वायु में ऐसा करते हैं तो आपके शरीर में दूषित कण पहुंच जायेंगे जो शरीर को बीमार बना सकते हैं।

आज का समय ऐसा है जहां आपको दूषित वायु न मिले तो ऐसे में जरूरी है आप मास्क पहनकर ही ज्यादा दूषित वातावरण में निकलें तो अच्छा है। अगर आप बहुत अधिक दूषित वातावरण के पास से गुजर रहे हैं और मास्क नही है तो कम से कम कपड़ा ही मुंह और नाक से बांध लें।

ऐसी जगह जहां हवा से फेलने वाली बीमारियों के मरीजों की अधिकता हो वहां बिना मास्क के ना जायें। क्योकि हवा के जरिए आपको भी ये बैक्टीरियल और वायरल बीमारियां अपनी चपेट में ले लेंगी।

जब भी समय मिले स्वच्छ और स्वस्थ्यवर्धक पहाड़ों में जाकर वहां का आनन्द लिया जाये। ऐसी खुली जगह पर लंबी-लंबी सांसों को लेने की प्रैक्टिस की जाये। पहाड़ों से आने वाली ये हवाएं आपको बहुत लाभकारी होगी।

रात को सोते वक्त ऐसी जगह चुने जो अधिक से अधिक खुली हो। खिड़कियों और दूसरे रोशनदानों को खुला रखकर ही सोने की कोशिश करें।

सोते वक्त मुंह को किसी कपड़े से ना ढ़कें क्योंकि इससे सांस लेने में परेशानी होती है।

कोशिश करें घंटे में 4-6 बार लंबी सांसें लेने की। इससे फेफड़ों के अंदर जमा गंदी हवा बाहर निकलती रहेगी जिससे फेफड़े स्वस्थ रहेंगे।

अगर आप सांस लेने के इन तरीकों को अपनायेंगे तो वाकई आप काफी हद तक अपने आप को बहुत सारी बीमारियों से अपने आप को दूर रख पायेंगे।

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