गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

ब्रैस्ट कैंसर : शुरूआती रोकथाम ही बचाव

ब्रैस्ट कैंसर से बचने का केवल एक ही तरीका है, समय पर इस समस्या का पता चलना। जितना जल्दी इसके होने का पता चल जाये आपके इससे बचने की संभावनाएं भी उतनी ही बढ़ जाती है। हमारे देश में महिलाओं को शिकार बनाने वाले कैंसर के सभी प्रकारों में से ब्रैस्ट कैंसर पहले दो नंबरों में आता है।  

कैसे करें बचाव :

मैमोग्राफी :

यह एक प्रकार का ब्रेस्ट का एक्स रे होता है। इसमें आपके ब्रेस्ट में बन रहे या भीतर हो रहे बदलावों का पता समय रहते चल जाता है।  आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मैमोग्राफी की मदद से कैंसर का पता आपके या आपके डॉक्टर को पता चलने के करीब दो साल पहले ही इसके होने की जानकारी दे देता है। यानि यदि आप नियमित रूप से मैमोग्राफी करते है तो आपको ब्रैस्ट कैंसर का पता बहुत पहले जी लग सकता है। 

40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को साल में एक बार मैमोग्राफी अवश्य करानी चहिये. मगर यदि आपके परिवार में ब्रैस्ट कैंसर की समस्या बहुत पहले से है तो 30 के बाद से ही आपको मैमोग्राफी और एम आर आई करानी चाहियें। 

क्लिनिकल ब्रैस्ट एग्जाम :

इस में डॉक्टर इस बात की जांच करते है कि आपके ब्रैस्ट में किसी प्रकार की गिल्टी तो नही है या फिर ब्रैस्ट से किसी प्रकार का डिस्चार्ज तो नही हो रहा है, ब्रैस्ट का आकर सामान्य है या नहीं आदि। 

20  से 30  साल की उम्र वाली महिलाओं को हर 3  साल में इसे एक बार कराना चाहिए। 

ब्रैस्ट सेल्फ एग्जाम :

नाम से ही आपको समझ आ रहा होगा कि इसमें आप स्वयं अपने ब्रैस्ट की जाँच कर सकते है। आप ब्रैस्ट सेल्फ एग्जाम की सही तकनीक की जनकारी अपने डॉक्टर से ले सकती है। 20 साल की उम्र से ही आप इसे कर सकती है। 

याद रहें की क्लिनिकल ब्रैस्ट एग्जाम और ब्रैस्ट सेल्फ एग्जाम कभी भी मैमोग्राफी का स्थान नहीं ले सकती है। इसलिए यह सोच कर मैमोग्राफी को नजर अंदाज न करें कि आप क्लिनिकल ब्रैस्ट एग्जाम और ब्रैस्ट सेल्फ एग्जाम तो करती है। 

महत्वपूर्ण बात :
  • यदि आपके परिवार में ब्रैस्ट कैंसर का इतिहास रहा है तो आपके ब्रैस्ट कैंसर के होने की आशंकाएं बढ़ जाती है इसलिए नियमित जाँच कराएँ और समय रहते अपना बचाव करें। 

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