रविवार, 4 अप्रैल 2010

अपना ख्याल रखना


कहते है न अगर शरीर स्वस्थ हो तो जीवन में खुशियाँ भी आती है और सम्पन्नता भी। पर इतनी बिजी जीवनशैली में किसी के पास टाइम कहाँ है की वह आराम से बैठ कर इस बात पर विचार करें कि वह अपने शरीर को स्वस्थ रखने की कसौटी पर कितना खरा उतर रहा है? पर सच्चाई यह है कि आपका स्वास्थ्य आपके हाथ में, अब आप चाहे तो आप अपने शरीर को स्वस्थ रखे या फिर अनजान बनकर अपने शरीर को बीमार करते रहें।

आईये कैसे आप अपनी केयर करें इस बात पर चर्चा करते हैं : -


आई केयर :-

आँखों से हम बहुत प्यार करते है। फिर भी उनका ध्यान रखना हम जरुरी नहीं समझते है। युवाओं में यह बहुत प्रचलित रिवाज है जिसमें सुंदर दिखने के चक्कर में वे चश्मा पहनने से बचते फिरते है। कई बार तो यह पता होने पर भी की आँखे कमजोर है हम अपनी आँखों की जाँच इस डर से नहीं करते है कि कहीं डॉक्टर चश्मा पहनने की सलाह दें। जबकि वास्तविकता यह है कि चश्मा पहनना बहुत जरुरी है।


यह तो रहीं आँखों के प्रति लापरवाही की सामान्य बात, गम्भीर बात यह है कि डायब्टीज या हायपरटेंशन का शिकार रोगी भी अपनी आँखों के प्रति लापरवाही का रवैया अपनाते है। डायब्टिक और हाई ब्लड प्रेशर के रोगी को आँखों के प्रति सामान्य व्यक्ति की तुलना में ज्यादा सतर्क रहना चाहिए। इस समस्या से ग्रस्त रोगी का आँखें कमजोर होना या मोतिया बिन्द की समस्या बहुत ही सामान्य होती है। अगर आप या आपके अभिभावक में से किसी को डायब्टीज या हायपरटेंशन है तो मोतियाबिंद की जांच कराएँ


क्या करें :-

डॉ मनोज राय मेहता, सीनियर कसलटेंट, औपथमोलोजी, मूलचंद आई क्लिनिक, मूलचंद मेडसिटी के अनुसार,


  • यदि आपकी आँखें कमजोर हो तो चश्मा अवश्य पहने।

  • साल में एक बार आँखों का टेस्ट अवश्य कराएँ। आँखों के कमजोर होने तक का इन्तजार बिलकुल न करें। बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी आई ड्रॉप का प्रयोग न करें। यदि आप ऐसा करते है तो आपको परिणाम के रूप में एलर्जी का सामना करना सकता है।

  • डायब्टिक रोगी को अपनी आँखों का टेस्ट नियमित रूप कराते रहें। अपने ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर के स्तर को नियंत्रित रखे और लेजर फोटोकोगुलशन को डॉक्टर के निर्देशानुसार करें।

  • कंप्यूटर पर काम करने वाले थोड़े थोड़े समय में ब्रेक लेते रहें। इससे आँखों को आराम मिलता है।

हार्ट केयर -
ह्रदय यानि शरीर का पावर हाउस कि महत्ता हमें इसके बीमार होने पर ही पता चलती है। कई बार तो लोगों को यह पता नहीं चल पता है कि उन्हें हृदय सम्बन्धी कोई परेशानी भी है। हाई ब्लड प्रैशर की समस्या अब कम उम्र में भी होने लगी है। कम उम्र से ही धूम्रपान, एल्कोहल का सेवन, वजन ज्यादा होना और वंशानुगत रूप में यह समस्या जन्म ले रही है। कई बार पता चलने पर भी हम सभी डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाइयों और बताये गये परहेज का पालन नहीं करना चाहते है क्यूंकि हमें लगता है कि हम एक दम फिट है। जोकि हृदय सम्बन्धी समस्या के परिणाम के रूप में हमारे सामने जल्द ही आ जाता है।


क्या करें -


पारस अस्पताल की कन्सल्टेंट कार्डियोलोजिस्ट डॉ हंसा गुप्ता के अनुसार -



  • अपनी दवाइयों का नियमित रूप से सेवन करें।

  • अपने ब्लड प्रैशर व कोलेस्ट्रोल पर नजर रखें।

  • वजन कम करें। शारीरिक रूप से एक्टिव रहें।

  • पौष्टिक भोजन का सेवन करें।

  • नियमित चैकअप कराएँ जिसमें टीएमटी, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रोल आदि शामिल है।

  • धूम्रपान और एल्कोहल का सेवन करने से बचें।

  • तनाव से बचने का प्रयास करें।

बोन केयर -
हमारे देश में कितनी ही महिलाओं को इस बात का पता ही नहीं चलता है कि वे ओस्टियोपोरोसिस की समस्या का शिकार है। विटामिन डी की कमी और प्रचुर मात्रा में कैल्शियम का सेवन न करने कारण अक्सर भारतीय महिलाओं की हड्डियाँ मजबूती खोने लगती है। मीनोपोज के बाद हो रहे शारीरिक बदलाव भी स्थिति को गंभीर बना देते है।


क्या करें -
अपोलो अस्पताल के कन्सल्टेंट एंडोक्रिनोलोजिस्ट डॉ अम्बरीश मिथल के अनुसार,



  • अपने भोजन में कैल्शियम व प्रोटीन की मात्रा को बढाये।

  • मीनोपोज के बाद सभी महिलाओ को अपना बोन डेंसिटी टेस्ट अवश्य कराना चाहिए। यह टेस्ट आपकी हड्डियों को स्थिति का सही चित्र पेश करती है।

  • व्यायाम करें ताकि आपकी हड्डियाँ मजबूत बने।

सेक्सचुअल हैल्थ केयर -
इतना ज्यादा ज्ञान और जागरूकता के बाद भी हम अक्सर अपने गुप्त अंगों के स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा करते हुए घबराते है। कई बार अज्ञानता तो कभी समस्या का दूसरों के सामने खुलने के दर से हम अपनी समस्याओं को दबा जाते है, जिसके परिणामस्वरुप हमें बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
अक्सर महिलाओं सेक्सचुअल ट्रांसमिटिड डिजीज, सर्विक्स कैंसर, यूटीआई आदि कुछ ऐसी समस्याएँ है जिनके बारें में वे चर्चा करते हुए घबराती है। पुरुषों के साथ भी ऐसा ही होता है।


क्या करें -
डॉ गीता चड्ढा, सीनियर कन्सल्टेंट गायनोकोलोजिस्ट, इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के अनुसार -



  • नियमित जाँच कराएँ।

  • महिलाओं की सवास्थ्य जाँच में सबसे पहले पेल्विक जाँच को स्थान दिया जाता है। यह प्रौढावस्था की महिलाओं के स्वास्थ्य सम्बन्धी पूर्व सूचना देने में सहायक होता है। आंकड़े यह साफ़ बताते है कि हमारे यहाँ ज्यादातर महिलाये सेक्सचुअल ट्रांसमिटिड डिजीज की गंभीरता को नहीं जानती है। लेकिन पेल्विक जांच की मदद से कुछ कैंसर की जानकारी शुरुआत अवस्था में, प्रजनन अंगो की समस्याए या मासिक धर्म के दौरान होने वाली असहनीय दर्द की समस्या के कारणों का पता लगाया जा सकता है।

  • महिलाएं तो फिर भी अपनी समस्याओं पर खुलकर चर्चा कर पाती है मगर कई बार पुरुष अपनी समस्याओं पर सीधे बताने की बजाय घुमा फिरा कर ही चर्चा करते है। यदि आपको भी कोई समस्या परेशान कर रही है तो ओन्कोलोजिस्ट के पास अवश्य जाएँ।

मूलभूत बातें :-



  • साल में जिस तरह आप साल में एक निर्धारित तारीख को अपना जन्मदिन मनाते है, ठीक उसी तरह साल का कोई भी दिन या महीने का निर्धारण कर ले जिस दिन आप अपना पूरा मेडिकल चैकअप करायेंगे।

  • धूम्रपान और एल्कोहल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते है। इस सच को अपनाएं और इन्हें अपने जीवन से बाहर करें।

  • तनाव से बचने का प्रयास करें।

अपने शरीर की सुने। यदि आपका शरीर आपको लक्षणों के माध्यम से यह बता रहा है कि वह बीमार ही तो अपने शरीर की सुने।

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