मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

धुंधलाती नजर - कैटरैक्ट



बढती उम्र के साथ आप बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार होते चले जाते है। कैटरैक्ट बुजुर्गों की आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। आइये इसके बारें में चर्चा करते है, इस लेख में :-
हम सभी की आँखों में एक प्राकृतिक लेंस होता है। जब यह लेंस धुंधला पड़ने लगता है तब दिखाई देना कम हो जाता है। इसी लेंस के धुंधले पड़ने को ही कैटरैक्ट या आम बोलचाल की भाषा में मोतियाबिंद कहते है।
डॉ कीर्ति कुमार अयाचित, सीनियर कन्सलटेंट, सेंटर फॉर साईट, गुडगाँव के अनुसार, सामान्यतौर पर यह समस्या उम्र के बढ़ने पर होती है। मगर कई बार इस समस्या का कारण उम्र के बढ़ने के साथ किसी प्रकार का ट्रोमा या फिर मैटाबोलिक डिसआर्डर जैसे डायबटीज, हायपोथायरोइड या आँखों में सूजन का आना भी हो सकता है।

क्या है इसके लक्षण : -
  • धुंधला दिखाई देना
  • रंग का फीका, हल्का या साफ़ दिखाई न देना
  • तेज रोशनी या सूरज की रोशनी के प्रति सैंसटिविटी
  • रात में कम दिखाई देना
  • रात के समय देखने में कठिनाई होना, आदि।
चंद सवाल कैटरैक्ट के : -
कैटरैक्ट यानि मोतियाबिंद को लेकर मन में बहुत से सवाल उठते है। आइये उन सवालों का हल डॉ कीर्ति से जानते है :-

इसका निर्माण कैसे होता है ?
कैटरैक्ट की समस्या बुजुर्गों में या बढती उम्र में देखने को मिलती है। जैसे जैसे उम्र बढती चली जाती है प्रोटीन जोकि मानव क्रिस्टल लाइन में होता है, उसमें कई प्रकार के कैमिकल बदलाव आने लगते है। इन्हीं बदलावों के कारण यह लेंस अपारदर्शी होता चला जाता है जोकि कैटरैक्ट का निर्माण करता है।

क्या चश्मे का नम्बर बदलकर कैटरैक्ट से निपटा जा सकता है?
सबसे आम सवाल जो ज्यादातर इस समस्या से ग्रस्त रोगी के मन में आता है। कैटरैक्ट की समस्या में धुंधला इसलिए दिखाई देता है क्योंकि कैटरैक्ट में रोशनी आँखों के भीतर नहीं जा पाती है। यहीं कारण है कि रोशनी रैटिना तक नहीं पहुँच पाती है जिस कर्ण व्यक्ति को धुंधला दिखाई देता है। इसलिए यदि आप सोच रहे है कि आप केवल चश्मे का नम्बर बदलकर ही कैटरैक्ट के धुंधलेपन से निपट सकते है तो आप गलत सोच रहें है। कैटरैक्ट से निपटने के लिए ऑपरेशन करना जरुरी है।
क्या कैटरैक्ट और ब्लड प्रैशर के बीच कोई सम्बन्ध
है? जी हाँ कैटरैक्ट और ब्लड प्रैशर के बीच बहुत गहरा सम्बन्ध है। यदि ऑपरेशन के पहले या दौरान रोगी का ब्लड प्रैशर अधिक हो तो ऑपरेशन कर पाना संभव नहीं होता है। इसलिए ब्लड प्रैशर का नियंत्रित रहना कैटरैक्ट की समस्या में बहुत जरुरी है।

क्या सर्जरी के बाद किसी प्रकार की सावधानी बरतनी जरुरी है?
जी हाँ, ऑपरेशन के बाद रोगी को सावधानी बरतनी चाहिए। कुछ महत्वपूर्ण बातें जिन्हें रोगी को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए, वह है : -
  • डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयों का प्रयोग चार से छह सप्ताह तक करें।
  • अपने शुगर और ब्लड प्रैशर को भी नियंत्रित रखने का प्रयास करें।
  • सिर धोते समय विशेष सावधानी बरतें
  • अगर आप घर से बाहर जा रहे है तो गहरे रंग के सन ग्लासिस पहनकर ही जाएँ।
  • पौष्टिक भोजन का सेवन करें।
उपचार :-
कैटरैक्ट के उपचार की कई नयी तकनीकें अब उपलब्ध है। अगर आप फैकोमुलसुफिकेशन को मल्टीफ़ोकल आईओएल के साथ किया जाता है तब कैटरैक्ट सर्जरी के बाद चश्मा पहनने की कोई जरुरत नहीं होती है। मगर यदि आप इसे मोनोफोकल आईओएल के साथ करते है तब पढने के लिए चश्में का प्रयोग करना जरुरी होता है।

एक अन्य नई तकनीक है जिसमें फैकोमुलसुफिकेशन को फोल्डेबल आईओएल के साथ किया जाता है। इस तकनीक का प्रयोग कई आई सेंटर में अब किया जाने लगा है।

इन सब नई तकनीकों के अलावा कुछ पुरानी तकनीकें जैसे एसआईसीएस, इसीसीइ का प्रयोग आज भी कई जगहों पर किया जाता है।

कैटरैक्ट यानी मोतियाबिंद से मुक्ति पाने के लिए कई सरकारी, एनजीओ और प्राइवेट सेंटर है। अलग अलग जगहों पर इसकी कीमत भी अलग अलग है। इसकी कीमत नि:शुल्क से होकर साठ हजार तक हो सकती है।

यदि आपके घर में कोई बुजुर्ग है और जिन्हें दिखने में कठिनाई हो रही हो तो तुरंत जाकर उनकी आँखों की जाँच अवश्य कराएँ।

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