गुरुवार, 4 मार्च 2010

थायरॉयड : गंभीरता को समझे


आपका वजन कम होने का नाम नही ले रहा है? क्या आपको भूलने की आदत हो गयी है? क्या आपके हाथ-पैर कांपते है? क्या आपको बहुत थकान लगती है? क्या आपका मासिक धर्म अनियमित है? अगर हाँ तो हो सकता है ? अगर हाँ तो हो सकता है की आप हार्मोनल समस्या थायरॉयड का शिकार है। थायरॉयड एक ऐसी समस्या है जिसके बारें में पता होने पर भी अक्सर इसकी गंभीरता को अनदेखा कर देते है। थायरॉयड से जन्म लेने वाली समस्याओं पर एक नजर डालते है।




अक्सर माना जाता है कि थायरॉयड महिलाओं की एक समस्या है। परन्तु सत्य यह है कि थायरॉयड पुरुषों और महिलाओं दोनों को ही होता है। यह अलग बात है कि थायरॉयड महिलाओं को पुरुषों कि तुलना में ज्यादा परेशान करता है। डॉ सुजीत झा, कंसल्टेंट एंडोक्रिनोलोजिस्ट, डिपार्टमेंट ऑफ़ ओबेसिटी एंड मेटाबोलिज्म, मेक्स अस्पताल के हेड के अनुसार, हायपोथायरॉयड पुरुषों कि तुलना में महिलाओं को ज्यादा होता है। जन्म के समय या बचपन में जिन महिलाओं का बॉडी साइज़ छोटा होता है उनमें यह समस्या सामान्य होती है। साथ ही वंशानुगत कारण से भी यह समस्या हो सकती है।




जाने थायरॉयड को -




थायरॉयड हमारे शरीर में सबसे बड़ा ग्लेंड है जोकि गर्दन पर होता है। इसका आकर तितली के पंखों की तरह होता है। हमारा शरीर कितनी जल्दी एनर्जी को बर्न करता है जिससे प्रोटीन का निर्माण हो इसका नियंत्रण थायरॉयड ही करता है। साथ ही हमारा शरीर अन्य हार्मोन्स के प्रति कितना संवेदनशील है, इस बात का भी निर्धारण भी थायरॉयड द्वारा ही किया जाता है।




थायरॉयड ग्लेंड थायरॉयड हार्मोन का निर्माण करता है विशेष रूप से थायरोक्सिन और टीडोथीरोनिन हार्मोन का। यह हार्मोन शरीर के मेटाबोलिज्म के रेट को बढाता है और शरीर के सिस्टम में अन्य प्रकार के विकास और गतिविधियों के रेट को प्रभावित करता है।




डॉ झा ने इस समस्या के बारें में बताया है कि हायपर थायरॉयड यानि ओवर एक्टिव थायरॉयड और हायपो थायरॉयड यानि अंडर एक्टिव थायरॉयड, थायरॉयड ग्लेंड की दो सबसे सामान्य परेशानियाँ है।




लक्षणों को अनदेखा न करें :-




हमारे देश में हायपोथायरॉयड की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। जेसा की हमने पहले चर्चा की थी कि थायरॉयड हार्मोन मेटाबोलिज्म को बढाता है। मगर ज्यादातर हायपोथायरॉयड के लक्षणों के कारण मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। डॉ झा के अनुसार, हायपो थायरॉयड के लक्षण अलग-अलग हो सकते है। कुछ लोगों को इस समस्या के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते है तो वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों के भीतर इसके लक्षण कुछ ज्यादा ही गंभीर भी ही सकते है। थायरॉयड की प्रकृति बार बार बदलती रहती है।




इसके कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं - फटीग, थकान होना, वजन का बढ़ना और ठण्ड बर्दाश्त न कर पाना। स्किन का शुष्क या मोटा होना, बालों का पतला या कमजोर होना, आईब्रो का हल्का होना, नाख़ून का कमजोर होना।




इसके अन्य लक्षण हैं:-




  • आँखों के आसपास हलकी सुजन होना,


  • पसीना आना,


  • हार्ट रेट धीमा पड़ना,


  • ब्लड प्रेशर का ज्यादा होना,


  • ब्लड में कोलेस्ट्रोल के स्टार का बढना


  • थोड़ी भी थकान में सांस का फूलना,


  • व्यायाम करने की क्षमता कम होना,


  • जुबान पर हलकी सुजन आना,


  • आवाज में परिवर्तन आना,


  • नींद में खर्राटे लेना,


  • मासिक धर्म का अनियमित होना,


  • गर्भ धारण करने में कठिनाई होना,


  • गर्भवती महिलाएं जिन्हें हायपो थायरॉयड होता है उनके गर्भावस्था के शुरूआती समय में मिस्केरेज होने की आशंकाएं बढ़ जाती है।


गर्भावस्था और थायरॉयड का सम्बन्ध :-



ऐसा अक्सर माना जाता कि थायरॉयड कि समस्या के कारण महिलाओं को गर्भ धारण करने में कठिनाई होती है। इस विषय पर प्रकाश डालते हुए डॉ झा ने बताया है कि जो महिलाएं हायपो थायरॉयड ग्रस्त होती है और वे गर्भवती हो तो उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड सकता है। इसमें गर्भावस्था के शुरुआती समय में ही गर्भपात का डर बना रहता है। साथ हे मैं इस बात का भी सुझाव देना चाहता हू की जो महिलाएं गर्भवती है या गर्भ धारण करने वाली है वे अपने थायरॉयड की स्क्रीनिंग अवश्य कराएँ।



डॉ झा ने कहा है की इस बात के आंकड़े साफ़ नहीं है कि थायरॉयड ग्रस्त गर्भवती स्त्री से उसके गर्भस्त शिशु को भी थायरॉयड हो सकता है।



उपचार :-



हायपो थायरॉयड के लिए सबसे सामान्य ब्लड टेस्ट थायरॉयड स्तिमुलेटिंग हार्मोन यानि टीएसएच होता है। टीएसएच टेस्ट के माध्यम से थायरॉयड फंक्शन के थोड़े से भी कम होने का भी पता चल जाता है। इस टेस्ट में थाय्रोक्सिन टी४ और टी३ को मापा जाता है। एंटी बोडिज जेसे टी जी और टी पी ओ का भी टेस्ट कराया जा सकता है।



थायरॉयड हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरपी कि मदद से आप हायपो थायरॉयड का इलाज क्र सकते है। इसमें रोगी को थाय्रोक्सिन दी जाती है। यह एक ओरल टेबलेट है जिसका सेवन हर रोज खाली पेट यानि सुबह नाश्ते से एक घंटा पहले या फिर नाश्ते के दो घंटे के बाद करें।

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