गुरुवार, 8 नवंबर 2012

क्या आपको पता है इनसे भी है सीओपीडी का खतरा


सीओपीडी यानि क्रोनिक प्रतिरोधीय फुफूसीय रोग अब ऐसी बीमारी बन गई है जो बुजुर्गों से लेकर युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है। ये बीमारी आज दुनिया में असमय मौत की चैथी वजह बन गई है। जैसे-जैसे शहरों और कस्बों में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है वैसे-वैसे ये बीमारी और अधिक लोगों को अपने चपेट में ले रही है। घरों में खुली हवा का ना पहुंचना और पार्कों का न होना सांस की बीमारियों की बड़ी वजह बन रहा है।

16 नवंबर को सीओपीडी दिवस है। ये एक ऐसी बीमारी है जो हर उम्र के लोगों को किसी भी समय हो सकती है। ऐसे में हमें खुद का और अपनों का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। क्योंकि ये ऐसी बीमारी है जो कई दूसरे कारणों की वजह से भी आपके शरीर को अपना घर बना सकती है। तो आईए इन्हीं कुछ कारणों में से आपको बताते हैं कि क्यों बन जाते हैं ये सीओपीडी की वजह।

निमोनिया 
निमोनिया दोनों फेफड़ों में होने वाला संक्रमण होता है। जो कई तरह के माईक्रोआॅर्गेनिज्म की वजह से होता है जैसे कई बैक्टीरिया, वायरस और फंजाई। निमोनिया में कफ के साथ फीवर और सांस लेने के साथ चेस्ट पेन होता है। निमोनिया में आपके डाॅक्टर आपकी चेस्ट में एबनाॅर्मल साउंड सुनता है। इसके बाद चेस्ट के एक्स-रे से निमोनिया को कन्फर्म किया जाता है। बैक्टीरिया और फंगल से होने वाले इंफेक्शन को तो एंटिबायोटिक से काबू में लाया जा सकता है, मगर वायरल इंफेक्शन के लिए डाॅक्टर दूसरे मेडिसिन का प्रयोग भी करते हैं। क्योंकि निमोनिया से ब्रोंकिट्स पर सीधा सीधा असर पड़ता है। इसकी वजह से सीओपीडी होने का बहुत बड़ा चांस रहता है।

फेफड़े का कैंसर
लंग कैंसर भी दूसरे कैंसर की तरह ही होता है। इसमें फेफड़े की कोशिकाएं अनियमित वृद्धि शुरू कर देतीं हैं। दूसरी कोशिकाओं की तरह कैंसर कोशिकाओं पर शरीर का नियंत्रण नही रहता। इसकी वजह से ये कोशिकाएं मांस यानि बढ़ी हुई कोशिकाओं का एक गुच्छा बना लेती हैं जिसे ट्यूमर कहा जाता है। कैंसर कोशिकाएं दूसरी कोश्किाओं को भी अपनी चपेट में ले लेती हैं। इसके बाद शरीर के उस भाग पर जहां ट्यूमर होता है कैंसर कोशिकाएं उस भाग पर अपना पूरा अधिकार जमा लेती हैं। जिससे वो पार्ट शरीर के अनुसार काम नही कर पाता। फेफड़े का कैंसर फेफड़े की पूरी कार्यविधि को ही डिस्टर्ब कर देता है। क्योंकि फेफड़े का प्राईमरी काम है गैस का एक्सचेंज करना। जिसमें स्वच्छ वायु को हवा से लेकर ब्लड तक पहुंचाना और अस्वच्छ वायु को शरीर से बाहर निकालना। अगर फेफड़े ही अपना काम सही से नही कर पायेंगे तो ऐसे में सांस लेने में कई तरह की परेशानियां पैदा हो सकती हैं। जिसकी वजह से आपको सीओपीडी का खतरा पैदा हो सकता है।

क्रोनिक कफ
वैसे तो डाॅक्टर क्रोनिक कफ को अपने में कोई बीमारी नही मानते। लेकिन कफ लगातार और बार बार आ रहा है तो ऐसे में परेशानी का कारण बन सकता है। क्रोनिक कफ की कई वजह हो सकती हैं जिनमें साइनस समस्या सबसे अहम है। स्टमक कंटेंट का इसोफैगस रिफलैक्स भी क्रोनकि कफ पैदा कर सकता है। इसके अलावा हवा के साथ फेफड़े में किसी बाहरी पदार्थ का पहुंचना भी एक कारण हो सकता है खास करके बच्चों में। सिगरेट का धंुआ क्रोनिक कफ की सबसे बड़ी वजह होती है। अगर क्रोनिक कफ लंबे वक्त तक रहता है तो ऐसे में सीओपीडी का खतरा पैदा हो सकता है।

चेस्ट पैन
चेस्ट पैन की कई वजह हो सकतीं हैं, जिनमें कुछ बहुत ज्यादा सीरियस नहीं होतीं। चेस्ट पैन डाइग्नोस्ट करना महत्वपूर्ण हो जाता है कि दिल में दर्द किस वजह से है। क्या दिल में दर्द दिल के दौरे की वजह से है या फिर पल्मौनरी वैन की कोई वजह है या दूसरा कोई कारण जो जिंदगी और मौत की वजह बन सकता है। अगर चेस्ट पैन लंबे वक्त तक रहता है तो ये जरूरी है कि इसे सही तरह से डाइग्नोंस्ट किया जाये। क्योंकि ये कई दूसरी परेशानियों का कारण भी बन सकता है। जिसमें सीओपीडी भी एक वजह हो सकती है।

अस्थमा
कई लोगों में एक काॅमन बात हो जाती है जिससे अचानक से ही सीनीजिंग और ब्रैथ छोटी होने लगती है। वैसे सांसों का छोटा होना 60 साल की उम्र में दिखाई देता है लेकिन अब ये समस्या बच्चों से लेकर युवाओं और बुजुर्गों सभी में दिखाई दे रही है। जिसकी सबसे बड़ी वजह है, वायुमण्डल में बढ़ता धूंआं और स्मौकिंग की लत के अलावा खुली हवा का ना मिल पाना। जिसकी वजह होती हैं अस्थमा। क्योंकि इसे पूरी तरह से ठीक तो नही किया जा सकता इसलिए इससे कई दूसरी बीमारियां होने का भी खतरा रहता है जिनमें से सीओपीडी भी एक है।
 



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