मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012

बचायें खुद को और अपने पैट्स को रैबीज़ से


हम लोग सिर्फ इंसानों के बीच नहीं रहते। ऐसे कई जानवर भी हैं, जो हमारे घर के दायरे और उससे बाहर आबाद हैं। बहुत से जानवरों को तो हम बाकायदा पालते हैं। लेकिन बिल्कुल आंखों के सामने रहने वाले ये जानवर हमारे लिए खतरा भी साबित हो सकते हैं। कुत्ता, बिल्ली, बंदर से लेकर दूसरे पशु और जानवरों से हमेशा रैबीज जैसी खतरनाक बीमारी फैलने का डर रहता है। ऐसे में थोड़ी सी असावधानी आपको और आपके पेट्स के लिए काफी खतरनाक हो सकती है। अगर हम सही वक्त पर सही इलाज न कराएं तो जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है। तो जानवरों के काटने पर क्या है इलाज और कैसे हम खुद को और आपने पेट्स को रैबीज जैसी खतरनाक बीमारी से सुरक्षित रख सकते हैं, बता रहे हैं राजेश राना अपने एक्सपर्ट के साथ।

कॉमन है काटना
डॉग बाइट यानी कुत्ते का काटना सबसे कॉमन है। लगभग हर इलाके में कुत्ते होते हैं, जिनसे आपका सामना घरों, गलियों, पार्कों जैसी जगहों पर होता है। ज्यादातर लोग डॉग बाइट का शिकार इन जगहों पर खुले में घूमते कुत्ते के जरिए ही होते हैं। डॉग बाइट के तीन ग्रेड होते हैं। ये ग्रेड इस बात पर निर्भर करते हैं कि बाइट कितनी गहरी है।

ग्रेड 1
.अगर कुत्ता प्यार से भी चाटता है, तो होशियार हो जाएं।
.अगर कुत्ते में रेबीज का इन्फेक्शन होगा तो आपके शरीर में रेबीज के वायरस जाने की आशंका बनी रहती है, खासकर अगर कुत्ते ने शरीर के उस हिस्से को चाट लिया हो, जहां चोट की वजह से मामूली कट या खरोंच हो।

ग्रेड 2
.अगर किसी कुत्ते के काटने के बाद स्किन पर उसके एक या दो दांतों के निशान दिखाई पड़ते हैं, तो समझिए कि एहतियात बरतने की जरूरत है।
.ऐसे कई लोग हैं, जो यह सोचकर कि कुत्ते को रेबीज न रहा होगा, एक या दो दांतों के निशान को मामूली जख्म की तरह ट्रीट करते हैं।
.ऐसी अनदेखी घातक साबित हो सकती है, क्योंकि रेबीज का वायरस एक बार आपके शरीर में जाकर बरसों-बरस डॉर्मन्ट या सुप्तावस्था में रह सकता है।
.कई बरस बाद जब यह अपना असर दिखाना शुरू करता है तो इलाज के लिए कुछ नहीं बचता।

ग्रैड 3
.कुत्ता आमतौर पर तीन जगहों में किसी एक जगह पर काटता है- हाथ, चेहरा या टांग।
.अगर हाथ या चेहरे पर काटने के बाद एक भी गहरा निशान बनता है या दांतों के तीन-चार निशान दिखाई देते हैं तो समझिए मामला बेहद संजीदा है और इलाज के लिए फौरन जाना चाहिए।

खतरनाक हो सकता है काटना
.किसी जानवर के काटने से जानलेवा वायरस या जहर शरीर में दाखिल हो सकता है।
.इससे रेबीज जैसी बीमारी हो सकती है, जिसका अब तक कोई इलाज मेडिकल साइंस ईजाद नहीं कर पाई है।

क्या है रेबीज
रेबीज एक वायरस होता है। अगर यह किसी जानवर में फैला हो और वह जानवर हमें काट ले खासकर कुत्ता, बिल्ली या बंदर तो हमें रेबीज हो सकता है।

लक्षण
.पानी से डर या हाइड्रोफोबिया, प्यास के बावजूद पानी न पीना
.बात-बात पर भड़क जाना-बर्ताव में हिंसक हो जाना

नतीजा
रेबीज का वायरस सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है, जिससे पी़िडत शख्स सामान्य नहीं रह पाता। बाद में तेज दर्द में चीख-पुकार मचाते हुए मरीज की मौत हो जाती है।

बचाव
इन सभी लक्षणों से बचना है तो कुत्ता, बिल्ली या बंदर के काटने के 24 घंटे के अंदर ऐंटि-रेबीज टीकों के जरिए इलाज शुरू करवा दें।

क्या करें काटने के बाद
कुत्ते के काटने के बाद उस हिस्से को सबसे पहले पानी से खूब अच्छी तरह धोएं। फिर साबुन लगा कर धोएं। वहां पट्टी कतई न बांधें। पहला ऐंटि-रेबीज इंजेक्शन 24 घंटे के भीतर जरूर लगवा लें।

क्या है प्रॉपर वैक्सिनेशन
.कुत्ते, बिल्ली या बंदर के काटने को हल्के में लेना बड़ी भूल है। इससे जानलेवा रेबीज हो सकता है।
.डाॅग एंड कैट क्लीनिक नई दिल्ली के वैटर्नरी स्पेश्लिस्ट डाॅ. आदित्य मेहता बताते हैं कि कुत्ते के काटने के बाद अब भी कई लोगों को यह लगता है कि पेट में 14 इंजेक्शन लगेंगे। यह गलत है। वैक्सिनेशन के तरीके और टाइम पीरियड अब बदल चुके हैं। यह भी जान लेना जरूरी है कि कुत्ते, बिल्ली या बंदर के काटने पर आपके काम का डॉक्टर जनरल फिजिशन या फैमिली डॉक्टर ही है।
.रेबीज को रोकने के लिए प्रॉपर वैक्सिनेशन या ऐंटि-रेबीज वैक्सिनेशन की जाती है।
.ऐंटि-रेबीज वैक्सीन सेंट्रल नर्वस सिस्टम या जहां रेबीज के वायरस अटैक करते हैं पर रक्षात्मक परत बना कर उस वायरस के असर को खत्म कर देती है।
.वैक्सिनेशन दो तरह से की जाती है ऐक्टिव और पैसिव ।
.अगर जख्म गहरा हो तो ऐक्टिव वैक्सिनेशन के तहत दो इंजेक्शन फौरन लगते हैं। इसमें ऐंटि-रेबीज सीरम को पहले मसल्स या बाजू या हिप्स में और फिर ठीक उस जगह पर जहां कुत्ते, बिल्ली या बंदर ने काटा हो, इंजेक्शन के जरिए डाला जाता है।
.इसके बाद बारी आती है पैसिव वैक्सिनेशन की। इसमें पांच इंजेक्शन एक खास टाइम पीरियड में लेने पड़ते हैं।
अगर आप वैक्सिनेशन का सही तरीके से ध्यान रखेंगे तो आप खुद को और अपने पैट्स को काफी हद तक रैबीज जैसी खतरनाक बीमारी से सुरक्षित रख सकते हैं।

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