मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012

विकिरण से सुरक्षित रहेंगी नन्हीं आंखें


आज हर आॅफिस और घर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से भरे पड़े हैं। जिंदगी ऐसी हो गई है कि 24 में से 18 घण्टे कंपयूटर और दूसरी स्क्रीन के सामने गुजारने पड़ते हैं। मगर हम ये भूल जाते हैं कि इन स्क्रीन से निकलने वाला विकिरण हमारी आॅखों और सेहत के लिए कितना खतरनाक होता है। इसी वजह से लोगों में आज आॅखों की बीमारियां हर उम्र में दिखाई दे रही हैं। इसी को जानने के लिए कि कैसे बढ़ रही है इलेक्ट्रॉनिक सामान से आॅखों में तकलीफ, पढि़ए नीचे स्टोरी में।

जन्म लेते ही बच्चे की कोमल आंखें अपने आसपास की चीजों को घूरने लगती हैं। इन अनमोल आंखों का शुरू से ही खयाल न रखा जाए तो बाद में बड़ी तकलीफें भुगतनी पड़ सकती हैं। आज की गैजेट्स की दीवानी पीढ़ी को सबसे ज्यादा परेशानियां आंखों की वजह से ही झेलनी पड़ रही हैं। खासकर बच्चे बहुत तेजी से इसके शिकार हो रहे हैं।

आंखों के दुश्मन इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स
गाजियाबाद के कोलंबिया अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय शर्मा के अनुसार, आजकल बच्चे लंबे समय तक कंप्यूटर और टेलीविजन के सामने बैठे रहते हैं और उचित डाइट भी नहीं लेते। बच्चे की आईसाइट कमजोर होने का यह सबसे बड़ा कारण है। फिर भी अभिभावक इस ओर ध्यान नहीं देते। दिल्ली में 5 से 13 वर्ष के बच्चों में आंखों में खराबी या कमजोरी आने की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं।

टीवी देखें 6 फुट की दूरी सें
आॅफिस में कंपयूटर, घर आये तो फिर टीवी या कंपयूटर सामने। घरेलू महिलाएं कामकाज के बाद ज्यदातर समय टीवी के सामने बीताती हैं। बच्चे भी टीवी के बाद वीडियो गेम्स में व्यस्त रहने की कोशिश करते हैं। ऐसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की हानिकारक रेडिएशन के संपर्क में आने से धीरे-धीरे  आंखें कमजोर होने लगती हैं। कई बार आंखों की रोशनी जाने की भी नौबत आ जाती है। टीवी कम से कम छह फुट की दूरी से देखना चाहिए और पर्याप्त रोशनी में ही टीवी देखना चाहिए।

ऑनलाइन चैटिंग से जा सकती हैं आंखें
मेडफोर्ट अस्पताल दिल्ली, के क्लीनिकल डायरेक्टर डॉ. त्यागमूर्ति शर्मा कहते हैं, बहुत ज्यादा कंप्यूटर के प्रयोग से मायोपिया या पास का न दिखने की समस्या हो जाता है। लगातार कंप्यूटर टीवी के सामने बैठे रहने से आंख की रक्त कोशिकाएं सिकुड़ जाती हैं। सुरक्षित तरीके से कंप्यूटर इस्तेमाल करने के लिए करेक्टिव आईवेयर की आवश्यकता है।

ठीक रोशनी में पढ़ें, चश्मा नहीं लगेगा
पढ़ाई के समय उचित रोशनी और किताब से आंखों की दूरी का खयाल न रखने, बहुत नजदीक से टीवी देखने और घंटों कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठने से आंखों पर काफी बुरा असर पड़ता है। समय रहते इन बातों पर ध्यान दिया जाए तो आंखें सुरक्षित रहती हैं और लापरवाही बरती जाए तो अंधेपन का शिकार होना पड़ सकता है।

फास्ट फूड कल्चर
डॉ. संजय शर्मा कहते है की कमजोर आईसाइट की सबसे बड़ी वजह पोषक तत्वों की कमी है। इसके लिए फाइबर, हरी पत्तेदार सब्जियां व मौसमी फल का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए।

एलर्जी
आज आंखों की एलर्जी होना आम बात है। यह एलर्जी किसी बाहरी रसायन की वजह से हो जाती है। इसमें आंखें लाल हो जाती हैं और उससे पानी बहने लगता है। कई बार खुजली भी होती है। बुखार भी आ सकता है और सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है। आंखें सूज भी सकती हैं। इसे कंजंक्टीवाइटिस भी कहते हैं।

क्या करे दूसरे उपाय

सबसे पहले आप अपने पुराने पीसी को हटा दें, खास कर यदि वे सीआरटी मॉनिटर वाले हैं तो उसे तो सबसे पहले। अध्ययन से पता चलता है कि पुराने बक्से के आकार के कैथोड-रे-ट्यूब बड़ी मात्रा में विकिरण उत्पन्न करता है। वहीं एलसीडी मॉनिटर अपेक्षाकृत कम मात्रा में विकिरण मुक्त करता है। अध्ययन यह भी बताते हैं कि पुराने कम्प्यूटर नए मॉडलों की तुलना में लगभग दुगना विकरण मुक्त करते हैं, क्योंकि नए मॉडलों में अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
कम्यूटर के स्क्रीन पर रेडिएशन फिल्टर चढ़ाने से कम्प्यूटर से निकलने वाला रेडिएशन का प्रभाव कम होता है।

अपने कम्यूटर स्क्रीन की ब्राइटनेस को सिर्फ उतना ही रखें, जिससे आपको देखने में सुविधा हो। क्योंकि स्क्रीन जितना चमकीला होता है, रेडिएशन उतना ही तेज होता है। साथ ही यह भी ध्यान में रखें कि स्क्रीन की ब्राइटनेस इतनी कम भी न हो कि इससे आपकी आंखों कि नुकसान पहुंच जाए। स्क्रीन के सामने देखने के लिए आदर्श दूरी 50 से 75 सेंमी है।

पीसी की हानिकारक रेडिएशन के प्रभाव से बचने के लिए आपको अपने कम्यूटर को रखने की जगह को तय करना होगा। आपका कम्यूटर का पिछली भाग इस प्रकार रखा हो कि यह किसी बैठे हुए व्यक्ति की तरफ न हो। अध्ययन के मुताबिक इसका पिछला हिस्सा अधिक तेज रेडिएशन छोड़ता है, जबकि अगला हिस्सा कम तेज रेडिएशन मुक्त करता है।

सुनने में यह अजीब सा लगे, पर यह कारगर होता है। अध्ययन के मुताबिक, कैक्टस के पौधों मे रेडिएशन को सोखने की क्षमता होती है। इसलिए अपने वर्क-स्टेशन पर आप कैक्टस के पौधे लगाएं, ताकि आप तक कम से कम विकिरण पहुंचे।

अगर आप को भी अपनी आॅखों में कंपयूटर और टीवी के सामने रहने में समस्या महसूस हो रही है तो स्टोरी में बताये उपाय काफी हद तक लाभदायक हो सकते हैं।









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