मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012

कितना खतरनाक थाइराइड कैंसर



थाइराइड कैंसर 30-40 की उम्र के बाद ज्यादातर दिखाई देता है। इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि तराई क्षेत्र के लोग थाइराइड कैंसर के ज्यादा मरीज बनते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार महिलाएं पुरूषों के मुकाबले थाइराइड कैंसर का ज्यादा शिकार होती हैं। तो ऐसे में आपको भी हो सकते है थाइराइड कैंसर का खतरा। तो इसी को जानने के लिए पढि़ए नीचे स्टोरी में।  

थाईराइड कैंसर क्या है

थाईराइड कैंसर थाईराइड ग्लैंड्स या ग्रंथि में सेल्स का असामान्य विकास है। थाईराइड ग्लैंड्स तितली के आकार की होती हैं और यह गर्दन के सामने होती हैं। थाईराइड कैंसर की अधिकतर स्थितियों में बचाव सम्भव है ।

क्या है थाईराइड ग्लैंड्स का काम
थाईराइड ग्लैंड्स का एक काम थाईराइड हार्मोन बनाना भी है जिसके लिए आयोडीन की आवश्यकता होती है। थाईराइड ग्लैंड्स के कुछ निश्चित कार्य होते हैं जैसे कि आयोडीन को इकट्ठा करने के बाद उसे ग्लैंड्स में एकत्रित कर थाईराइड हार्मोन बनाना। चिकित्सक कभी-कभी थाईराइड कैंसर की चिकित्सा के समय आयोडीन के महत्व पर ध्यान भी नहीं दे पाते ।

थाईराइड ग्लैंड् की रचना
थाईराइड ग्लैंड्स की रचना में दो महत्वपूर्ण विषय भी हैं। पहला यह कि थाईराइड टिश्यू चार छोटी ग्लैंड्स से मिलकर बनी होती है जो कि शरीर में कैल्शियम की मात्रा को नियंत्रित करते हैं। अगर थाईराइड ग्लैंड्स की सर्जरी की गयी तो ऐसा जरूरी होता है कि सर्जन सावधानी पूर्वक इन चारों छोटी ग्लैंड्स को किसी प्रकार की हानि से बचाये।
वो नर्व जो कि हमारे आवाज के बाक्स को नियंत्रित करती है वह भी थाईराइड के बहुत ही पास होती है। इसलिए थाईराइड ग्लैंड की सर्जरी के दौरान थाईराइड ग्लैंड का पता होना आवश्यक है क्योंकि अगर आवाज के बाक्स को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचा तो मरीज आजीवन ठीक प्रकार से बोल नहीं पायेगा ।
थाईराइड में दो प्रकार के सेल्स होते हैं जो कि दो हार्मोन बनाते हैं और शरीर के काम को संचालित करते हैं। थाईराइड में फालिकुलर सेल्स थाईराइड हार्मोन बनते हैं जिन्हें कि थायराॅक्सिन कहते हैं या टी-4 कहते हैं और यह शरीर के मेटाबालिज्म को नियंत्रित करता है। थाईराइड ग्लैंड के द्वारा नियंत्रित किया जाने वाला मेटाबाॅलिज्म एक जटिल प्रक्रिया करता है जो कि शरीर के कई अंगों को भी प्रभावित कर सकता है ।
सी सेल्स को पैराफाॅलिकुलर सेल्स भी कहते हैं और यह कैल्सिटोनिन बनाती हैं। यह वो हार्मोन है जो कि रक्त में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करता है।

थाईराइड कैंसर के चार प्रकार हैं
पैपिलरी कार्सिनोमा
पैपिलरी कार्सिनोमा को पैपिलरी एडेनोकार्सिनोमा भी कहते हैं। यह सबसे आम प्रकार का थाईराइड कैंसर है जो कि सभी कैंसर में से 75 प्रतिशत है । यह फाॅलिकुलर सेल्स से विकसित होता है और धीरे-धीरे बढ़ता है। बहुत सी स्थितियों में यह थाईराइड ग्लैंड के दो भाग में से एक में होता है लेकिन यह 10 से 20 प्रतिशत मरीजों में दोनों भागों को ही प्रभावित करता है। पैपिलरी कार्सिनोमा गर्दन में लिम्फ नोड्स के आसपास भी फैल जाता है लेकिन यह शरीर के दूसरे भागों में भी फैल सकता है ।

फाॅलिकुलर कार्सिनोमा
फाॅलिकुलर कार्सिनोमा थाईराइड कैंसर का दूसरा सबसे आम प्रकार है जो कि फाॅलिकुलर सेल्स में शुरू होता है। इस प्रकार का कैंसर थाईराइड ग्लैंड्स में होता है लेकिन कभी कभी यह शरीर के दूसरे भागों में भी फैल जाता है मुख्यतः फेफड़ों और हड्डियों में।

हर्थल सेल नियोप्लाज्म या फालिकुलर एडेनोकार्सिनोमा
यह फालिकुलर कैंसर जैसा ही है जिसे कि ठीक प्रकार से समझा नहीं जा सका है ।

एनाप्लास्टिक कार्सिनोमा या फाॅलिकुलर एडेनोकार्सिनोमा
यह बहुत ही दुर्लभ प्रकार का थाईराइड कैंसर है जिसका पूर्वानुमान लगाना सबसे मुश्किल है। विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि यह कैंसर पहले से रहने वाले पैपिलरी या फाॅलिकुलर कार्सिनोमा से होते हैं। एनाप्लास्टिक कार्सिनोमा बहुत कम समय में गर्दन से शरीर के दूसरे भागों में भी फैल जाता है । क्योंकि यह थाईराइड और श्वास नली के पास होता है इसलिए वो मरीज जिनमें कि इस प्रकार का कैंसर होता है उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है और कभी कभी तो सांस लेने के लिए ट्यूब भी लगाना पड़ता है ।

थाईराइड कैंसर के लक्षण
सामान्यतः गर्दन में गांठ देखने को मिलती है ।
गर्दन में दर्द जो कि कानों तक महसूस हो।
निगलने में परेशानी होना।
आवाज में भारीपन।
सांस लेने में परेशानी होना।
लगातार रहने वाली खांसी।
ऐसे कुछ लक्षण कैंसर के अलावा दूसरी बीमारियों के भी होते हैं।

थाईराइड कैंसर की संभावित अवधि
सर्वोदय अस्पताल गाजियाबाद के ओंकोरेडियोथेरेपिस्ट डाॅ. अमित कुमार सिंह बताते हैं कि थाईराइड कैंसर कई सालों तक धीरे-धीरे बढ़ता है। दूसरे प्रकार के कैंसर की तरह यह भी तब तक बढ़ता है जब तक कि इसकी चिकित्सा ना की जाये।

थाईराइड कैंसर की चिकित्सा
डाॅ. अमित बताते हैं कि सर्जरी ही थाईराइड कैंसर से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है। सर्जन आपके थाईराइड और लिम्फ नोड्स के प्रभावित क्षेत्र को सर्जरी के द्वारा निकालते हैं।

थाईराइड हार्मोन थेरेपी
अगर सर्जरी के द्वारा पूरी थाईराइड हार्मोन को निकाल दिया गया तो थाईराइड हार्मोन की दवाएं सामान्य प्रक्रिया करेंगी और पिट्युटरी ग्लैंड के हार्मोन पर दबाव डालेंगी जिससे बचे हुए थाईराइड कैंसर सेल्स का विकास होगा। ऐसे में मरीज को ओरल थाईराइड हार्माेन की दवांए लेनी चाहिए।

रेडियोएक्टिव आयोडीन चिकित्सा
रेडियोएक्टिव आयोडीन का प्रयोग दो कारणों से किया जाता है। यह किसी सामान्य थाईराइड टिश्यू को भी प्रभावित कर सकता है या कैंसर के सेल्स को खत्म कर सकता है। जब इसका प्रयोग सामान्य टिश्यू को खत्म करने के लिए किया जाता है तो रेडियेशन की कम मात्रा का प्रयोग किया जाता है और कैंसर की चिकित्सा के लिए अधिक मात्रा में रेडियेशन का प्रयोग किया जाता है।

कीमोथेरेपी
इस चिकित्सा में एण्टी कैंसर ड्रग्स को मुंह के रास्ते। इन्जेक्शन के द्वारा नली या वेन्स में लगाया जाता है। इसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं बालों का गिरना, थकान, उल्टियां आना।

एक्सटर्नल बीम रेडियेशन थैरेपी
इस चिकित्सा में अधिक ऊर्जा वाली किरणों को कैंसर प्रभावित क्षेत्र पर छोड़ा जाता है जिससे कि कैंसर के सेल्स को खत्म किया जा सके। ऐसी चिकित्सा इस बात पर निर्भर करती है कि कैंसर कितने क्षेत्र में फैला हुआ है। थाईराइड कैंसर की चिकित्सा के एक प्रकार के अतिरिक्त प्रभाव लगभग कई महीनों तक रहते हैं। ऐसे में इलाज के 20 से 30 साल तक स्वयं की निगरानी करना जरूरी है। सर्जरी के बाद सेरम थायरोग्लोंबुलिन नामक रक्त जांच की जाती है जिससे कि इलाज के बाद भी अगर कैंसर के सेल्स रह जाते हैं तो उनका पता चल जाता

थायराॅइड कैंसर से बचाव के टिप्स
थाइराॅइड कैंसर, कैंसर का ही एक प्रकार है जो कि थाइराॅइड ग्रंथियों की कोशिकाओं में होता है। यह कैंसर बहुत सामान्य नही हैं, लेकिन इस कैंसर का इलाज संभव है। हम सब में इस कैंसर के बढ़ने की संभावना है, लेकिन इस स्थिति को बढ़ाने वाली कुछ वजह ये हैं।

उम्र का फंडा
थाइराइड कैंसर किशोरों और बच्चों की तुलना में 30 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में होता है।

लिंग
पुरूषों की तुलना में महिलाओं में थाइराइड कैंसर के बढने का खतरा ज्यादा होता है जो सामान्यतः दो से तीन गुना ज्यादा।

रेडिएशन का संपर्क
रेडिएशन के संपर्क में आना या किसी दुर्घटना की वजह से जैसे न्यूक्लीयर विस्फोट या गर्दन की रेडिएशन थेरेपी, थाइराइड कैंसर के खतरे को बढाती हैं।

पारिवारिक इतिहास
डाॅ. अमित बताते हैं, यदि आपके परिवार में किसी को थाइराइड कैंसर है तो कुछ दुर्लभ सिंड्रोम कई ग्रंथियों में ट्यूमर के कारण होते हैं, ऐसे में आपको थाइराइड कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।

थाइराइड कैंसर से बचने के लिए कोई निश्चित तरीका नही है, लेकिन कुछ कारक ऐसे हैं जिनसे थाइराइड कैंसर बढने के खतरे को कम किया जा सकता है। कुछ तरीके जो थाइराइड कैंसर के जोखिम को कम करते हैं।

यदि आपकी गर्दन के आसपास या विशेष रूप से बचपन में रेडिएशन थेरेपी से इलाज हुआ हो। तब डॉक्टर के निर्देंशों का पालन करते हुए नियमित रूप से थाइराइड कैंसर की जांच करानी चाहिए।

ऐसे लोग, जिनके परिवार में किसी को थाइराइड कैंसर हुआ हो या कुछ ऐसे सिंड्रोम जो कई ग्रंथियों में ट्यूमर का कारण बनते हैं, उनको भी नियमित रूप से निर्देशों का पालन करना चाहिए।

आपके डॉक्टर आपको नियमित रूप से जांच कराने की सलाह दे सकते है जिसकी आपको जरूरत है।

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