शनिवार, 8 सितंबर 2012

एक्ने का आयुर्वेदिक उपचार


युवावस्था में टीनेजर्स खासकर लड़कियां सौंदर्य समस्याओं के चलते अपना आत्मविश्वास खोने लगती हैं। दरअसल टीनेज में हार्मोंस में लगातार बदलाव आते रहते हैं, नतीजन चेहरे पर दाग, धब्बे, मुंहासे और एक्ने की समस्या होने लगती हैं। एक्ने ऐसी समस्या है जो आमतौर पर टीनेज और युवावस्था में अधिक होती है। एक्ने की समस्या से बचने के लिए कुछ आयुर्वेदिक नुस्खों को अपनाया जा सकता है। आयुर्वेद में कुछ ऐसे एंटीऑक्सीडेंट् हैं जिनके उपयोग से एक्ने की समस्या से आसानी से निजात पाई जा सकती हैं। आइए जानें एक्ने के आयुर्वेदिक उपचार के बारे में।

मसूर की दाल को पीस कर इसमें घी और दूध मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को मुहांसे और पिंपल्स की जगह पर लगाएं। बहुत आराम मिलेगा।

ताजे दूध में चिरौंजी पीसकर इसका लेप बनाकर चेहरे पर लगाएं और सूखने पर धो लें, इससे एक्ने की समस्या से निजात मिलेगी।
   
जायफल को धिसकर उसका लेप बनाकर कील-मुंहासों और जलन की जगह पर लगाने से आराम मिलता हैं।

एक्ने आमतौर पर बॉडी के उन हिस्सों में ज्यादा होते हैं, जहां ऑयल ग्लैंड्स ऐक्टिव होते हैं। यही वजह है कि चेहरे, पीठ, छाती, गर्दन और बाहों के ऊपरी हिस्से में ये बहुत ज्यादा होते हैं। लेकिन समय पर इलाज न होने से ये दाग भी छोड़ सकते हैं।

चमेली के तेल को सोहागा में मिलाकर रात को सोते समय चेहरे पर लगाकर मसलें। सुबह बेसन को पानी से गीला कर चेहरे पर लगाकर मसलें और पानी से चेहरा धो डालें। इससे चेहरे पर होने वाली जलन पर बहुत आराम मिलेगा।

टंकण और शक्ति पिष्टी के पाउडर में शहद मिलाकर कील-मुँहासों पर लगाएं।

लोध्र, वचा और धनिया, तीनों को पीसकर थोडे़ से दूध में मिलाकर लेप बना लें और कील-मुंहासों इत्यादि पर लगाएं, इसे कम से कम आधा घंटा लगाकर धो लें।

सफेद सरसों, लोध्र, वचा और सेन्धा नमक के चूर्ण को पानी में मिलाकर लेप बनाकर एक्ने की जगह पर लगाएं।

मसूर, वट वृक्ष की कोंपलें, लोध्र, लाल चन्दन को पानी के साथ मिलाकर कील-मुंहासों पर लगाएं। इससे बहुत आराम मिलेगा।

आयुर्वेद उपचार के साथ ही एक्नें की समस्या से बचने के लिए चेहरे की साफ-सफाई रखना जरूरी हैं, ऐसे में चेहरे को बार-बार पानी से धोएं।

एक्ने की समस्या से बचने के लिए मेकअप कम से कम करें और गर्मियों में वॉटरप्रूफ मेकअप का ही इस्तेमाल करें।

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