सोमवार, 27 अगस्त 2012

धुल, धुंआ में कैसे करें सांस की आस



षहरों और कस्बों का बढ़ता प्रदूशण सांस से संबंधित कई तरह की खतरनाक बीमारियों को न्यौता दे रहा है। इनमें प्रमुख है क्रोनिक ओब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानि क्रोनिक प्रतिरोधीय फुफूसीय रोग। ये आपकी सांस नली से लेकर फेफड़ों तक को डेमेज कर सकती है। अगर आपकी सांसे बिना किसी वजह के छोटी हो रही हैं तो समझ जाइए, आप सीओपीडी का षिकार हो गये हैं। अगर आप भी इस बीमारी की चपेट में है या फिर इससे बचना चाहते है तो पढि़ए नीचे स्टोरी में, क्या है सीओपीडी और कैसे इससे बचा जा सकता है।
सीओपीडी अब ऐसी बीमारी बन गई है जो बुजुर्गों से लेकर युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है। आज दुनिया में असमय मौत की चैथी वजह बन गई है ये बीमारी। जैसे-जैसे षहरों और कस्बों में वायु प्रदूशण बढ रहा है वैसे-वैसे ये बीमारी और अधिक लोगों को अपने चपेट में ले रही है। घरों में खुली हवा का ना पहुंचना और पार्कों का न होना सांस की बीमारियों की बड़ी वजह बन रहा है।

क्या हैं वजह
स्मौकिंग सीओपीडी की मुख्य वजह है। सीओपीडी के ज्यादातर मरीज स्मौकिंग करने वाले ही होते हैं और ऐसे लोगों में इस बीमारी के पनपने का सबसे अधिक खतरा होता है।
कुछ केस में नाॅनस्मौकर भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। इन मरीजों में देखने को मिला कि इनमें एक तरह की प्रोटीन की कमी जिसे एल्फा-1 एंटीट्रिप्सिन कहते हैं भी वजह मानी गयी।
काम करने के स्थान पर किसी गैस या धुंआ का लगातार निकलते रहना भी सीओपीडी की वजह हो सकता है।
स्मौकर द्वारा छोड़ा गया धुंआॅ भी एक हैल्दी परसन के लिए बीमारी की वजह हो सकता है।
गाडि़यों से छोड़ा गया धुंआॅ और फैक्ट्रियों से निकलता जहरीला धंुआॅ आपको सीओपीडी का मरीज बना देगा।
अगर आप बिना वेंटिलेषन वाली रसोई में खाना बनाते है तो आप इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।

क्या हैं लक्षण
अगर आपको लगातार म्यूकस या बिना म्यूकस के साथ कफ आ रहा है तो आपको चैकअप कराने की जरूरत है।
अगर आपके षरीर में किसी भी तरह की थकान महसूस हो सही है तो आप सांस से संबंधित किसी बीमारी का षिकार हो सकते हैं।
कई तरह के रेस्पीरेट्री इंफेक्षन भी सीओपीडी की षुरूआत हो सकती है। ऐसे में आपको खुद का ध्यान रखने की जरूरत होती है।
अगर आपकी ब्रेथ कम हो रही है यानि आप बिना किसी वजह के जल्दी-जल्दी सांस ले रहे हैं तो आप फेफड़े की इस बीमारी का षिकार हो सकते हैं।
अगर आपको सांस में ब्रेथ करते वक्त झटका लगता है या कफ आ रहा है तो इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।
सीओपीडी के लक्षण धीरे-धीरे बिकसित होते हैं। ऐसे में मरीज को पता नही होता की वो इस बीमारी की चपेट में आ गया। इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि आप इस बीमारी के छाटे से छाटे लक्षण को पहचानें और अच्छी तरह से चैकअप करायें।

क्या है जरूरी टेस्ट
सीओपीडी के लिए सबसे अच्छा फेफड़े की कार्यविधि का टेस्ट होता है जिसे स्पाइरोमेंट्री टेस्ट कहते हैं। एक छोटी सी मषीन इस टेस्ट में फेफड़ों की क्रियाविधि का चैकअप करती है। इसका रिजल्ट तुरंत मिल जाता है। इसमें किसी तरह की एक्सरसाइज, खून का बहना और रेडियेषन को षरीर से गुजारना नही होता, इसलिए ये सबसे अरामदायक और सही प्रमाण देने वाला होता है।
स्टेथोस्कोप से भी फेफड़े की आवाज सुनकर पता लगाया जा सकता है। लेकिन कभी-कभी सीओपीडी होने पर भी लंग साउंड नाॅर्मल रहती है।
ब्लड में आॅक्सीजन की मात्रा का चैकअप करके भी इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है।

क्या हो ट्रीटमेंट
सीओपीडी एक ऐसी बीमारी है जिसका ईलाज पूरी तरह से संभव नही है। लेकिन आप षुरूआती लक्षणों पर ध्यान देकर इसके साथ लंबा जीवन जी सकते हैं।
सबसे पहला और जरूरी उपाय है सीओपीडी मरीज तुरंत स्मौकिंग से तौबा करें। फेफड़ों के डेमेज को कम करने का ये सबसे महत्वपूर्ण उपाय है।
एयरवेज को ओपन करने के लिए इन्हेलर्स का प्रयोग किया जाता है। आइप्रेट्रोपियम, टायोट्रोपियम, सेलमेटेरोल और फोरमेटेरोल आदि प्रमुख इन्हेलर्स हैं।
स्टेराॅइडस को इनहेल करके भी लंग इंफलेमेषन को कम किया जाता है।
अगर मरीज की हालत ज्यादा खराब है तो ऐसे में उसे आॅक्सीजन थेरेपी की जरूरत होती है।

कैसे करें खुद को मजबूत
डाॅक्टर की सलाह पर आप कुछ एक्सरसाइज कर सकते है। इससे आप थकान पर काबू पा सकते है।
अपने थैरेपिस्ट की सलाह पर आप धीरे-धीरे वाॅकिंग का समय बढ़ाकर मसल्स स्ट्रेंथ बढ़ा सकते हैं।
अगर आप वाॅकिंग कर रहे हैं और छोटी-छोटी ब्रैथ हो रही है तो ऐसे में बात करने से बचना चाहिए।
बहुत ठंडी हवा में एकदम जाने से बचें।
ये खास ध्यान रखें कि आपके घर में कोई भी किसी भी तरह की स्मौकिंग ना करे।

कैसी हो डाईट
ऐसे में आपको हेल्दी डाईट की जरूरत होती है। इसके लिए आप डाईट में फिष या फिर लीन मीट प्रेफर कर सकते हैं।
भोजन में हरी सब्जियों का खास ख्याल रखना चाहिए। क्योंकि इससे आपको हैल्दी डाईट तो मिलेगी ही एंटीआॅक्सीडेंट भी प्राप्त होंगे जो कई तरह के रोगों से लड़ने में भी आपकी सहायता करते हैं।
अगर हैवी डाईट से आपको मोटापा होने लगा है तो ऐसे में आप आपने डाइटीषियन की सहायता से डाईट बदल सकते हैं।
जैसा कि आप जानते हैं, इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म नही किया जा सकता है इसलिए इसके लक्षणों को पहचानना जरूरी है। इनके लिए आपको स्टोरी में बताई गई बातें काफी लाभदायक होंगी।

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