मंगलवार, 21 अगस्त 2012

बरसात में पेट को दें बीमारियों से रेस्ट

बरसात की बूंदें तपती गर्मी से ठंडक तो दिलाती हैं, लेकिन अपने साथ कई तरह के रोग और समस्याएं भी लेकर आती हैं। इस मौसम में पेट की समस्याओं का होना आम बात है। क्योंकि बारिश में पानी से लेकर हर तरह के फूड में संक्रमण का खतरा बना रहता है। लेकिन थोड़ी सी सावधानी बरतकर आप पेट की इन समस्याओं से आसानी से बचा जा सकते है। फिर भी अगर दिक्कत हो जाती है तो क्या करें एक्सपर्ट्स से बात करके इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं राजेश राना।

डायरिया
डायरिया को आम बोलचाल की भाषा में लूज मोशन या दस्त भी कहा जाता है। डायरिया अपने आप में कोई रोग नहीं है, लेकिन यह कई रोगों की वजह बन सकता है। लोगों में गलत धारणा है कि डायरिया के मरीज को खाना-पानी नहीं देना चाहिए। यह खतरनाक है। मरीज को सिर्फ तली-भुनी चीजों से परहेज करना चाहिए। बाकी ताजा चीजों का इस्तेमाल बंद नहीं करना चाहिए।

कारण
दूषित खाना और पानी लेने से तमाम तरह के बैक्टीरिया हमारे शरीर के अंदर पहुंच जाते हैं, जिनकी वजह से डायरिया हो जाता है।
पानी में अमीबा व वॉर्म्स जैसे वायरस व बैक्टीरिया बढ़ने से शरीर फ्ल्युइड को अब्जॉर्व नहीं कर पाता। इस स्थिति को वॉटरी डायरिया कहते हैं।
कई बार प्रदूषण की वजह से खाने की चीजों में जहरीले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे डायरिया होता है। ये आमतौर पर मिल्क प्रॉडक्ट व नॉनवेज में पाए जाते हैं। ये तत्व उबालने से भी नष्ट नहीं होते। ऐसे में बचाव के लिए ताजे दूध व मक्खन का ही इस्तेमाल करें और नॉनवेज खाने से बचें।
कई बार कुछ दवाओं के रिएक्शन से भी डायरिया हो सकता है।
जरूरत से ज्यादा स्विमिंग भी डायरिया की एक वजह है।

लक्षण
बार-बार उल्टी-दस्त, पूरे शरीर में दर्द, कमजोरी व आलस्य, बुखार व सिर में दर्द होना।

सावधानियां व बचाव
सफाई का पूरा ध्यान रखें। खाने से पहले और बाद में साबुन से हाथ धोएं।
हैंडपंप का पानी न पिएं। पानी उबालकर पिएं या फिल्टर करके ही पिएं।

खाने की चीजों को अच्छी तरह से पकाएं।
बाहर बिकने वाले कटे फल, दही भल्ले, गोल गप्पे व चटनी, सलाद आदि के इस्तेमाल से बचें। फ्रूट जूस भी बाहर का तभी पिएं, जब सफाई की गारंटी हो।
गर्मी के दिनों में काफी मात्रा में पानी पिएं।

क्या है इलाज

आयुर्वेद दवाएं

कुटजघनवटी एक-एक सुबह-शाम लें। इसके साथ आमपाचक वटी एक-एक सुबह-शाम तीन दिन तक ले सकते हैं।
डायरेक्स हिमालय कंपनी की एक गोली दिन में दो बार लें।
एंटस्टॉल की एक गोली दिन में दो बार लें। तुरंत आराम मिलता है।
दाडि़माष्टक चूर्ण चैथाई से आधा चम्मच दिन में दो बार पानी से लें। बच्चों को आधी डोज देनी है।
अमृतधारा पंसारी से खुद भी बनवा सकते हैं। की दो बूंद पानी बताशे या चीनी से लें। दिन में दो-तीन बार ले सकते हैं।
डायसिन की दो-दो गोली सुबह, दोपहर व शाम को लें।

घरेलू नुस्खे
एक से दो ग्राम हींग को भूनकर उसमें तीन-चार दाने काली मिर्च पीसकर मिला लें। इसमें थोड़ा काला नमक मिला लें और फिर पानी के साथ लें। दिन में दो बार ले सकते हैं। बच्चों को आधी डोज देनी है।
दो कप पानी में दस-पंद्रह ग्राम अदरक की गांठ पका लें। आधा पानी रहने पर उतारकर पी लें। इससे भी मोशन बंद हो जाते है। अगले दिन रिपीट कर सकते हैं।
खाली दस्त लगे हों तो दही के साथ ईसबगोल की भूसी मिलाकर लें।
एक गिलास पानी में चैथाई चम्मच नमक और एक चम्मच चीनी डालकर दिन में कई बार लें। ओआरएस या इलेक्ट्रॉल भी ले सकते हैं। ग्लुकोज न लें।
बच्चों को जायफल घिसकर दे सकते हैं। इसकी दाल के दाने के बराबर मात्रा दिन में एक से दो बार लेनी है।
आधी चम्मच सूखी चाय पत्ती पानी से फांकने से भी लूज मोशन रुक जाते हैं।
बेल का शर्बत अच्छा है। बेल का गूदा निकालकर भी खा सकते हैं। बेल का दानेदार चूर्ण दो छोटे चम्मच पानी से सुबह-शाम लें। बच्चों को आधी मात्रा दें। बीपी, शुगर और हार्ट पेशंट भी ले सकते हैं।

बिना दूध-चीनी की आधा कप चाय बनाकर उसमें जरा सा नमक मिला लें। इसे पीने से लूज मोशन रुक जाएंगे। दिन में दो बार तक ले सकते हैं।
दही में केला फेंटकर लें।
दूध न लें, छाछ और दही ले सकते हैं।
सेव और अनार ले सकते हैं, पपीता नहीं लेना है।
पिंडलियों को दबाने से भी लूज मोशन रुकते हैं।

पेट दर्द
शूलवज्रिनी वटी एक-एक गोली दो बार लें।
लशुनादि वटी दो-दो गोली दिन में तीन बार लें।
हिंग्वाष्टक चूर्ण ले सकते हैं।
पुदीन हरा, प्राणधारा या अमृतधारा की पांच बूंदें पानी में डालकर लें।
गैस की वजह से दर्द हो तो शंखवटी या हिंग्वाष्टक वटी पानी से लें।
मेथी के दानों को भूनकर पाउडर बना लें। पानी से आधा चम्मच दिन में एक या दो बार लें।
भुनी हींग व थोड़ा सेंधा नमक छाछ में डालकर पी लें। खट्टा छाछ न हो। यह प्रयोग रात को न करें।
चने के दाने के बराबर हींग को पानी में घोलकर नाभि के आसपास लगा लें। दर्द खींच लेगा।
अजवायन के दस-पंदह दाने नमक में मिला लें। पानी से लें।
बरसात के मौसम में पुदीना किसी भी रूप में लेने से डायरिया व पेट के रोगों से बचा जा सकता है।
छोटी हरड़ का आधा छोटा चम्मच चूर्ण लें। छोटे बच्चों को चीनी मिलाकर दे सकते हैं।
नीबू का पुराना अचार खायें।
पिंडलियों को दबाने से भी पेट दर्द कम होता है।
कंधे और गर्दन के बीच का ऊपरी मांसल हिस्सा दबाने से पेट दर्द ठीक होता है।

उल्टी
उल्टी अगर फूड पॉइजनिंग या अपच की वजह से हो तो वोमिटैब या छरदीरिपु की एक गोली दिन में एक से दो बार ले लें।
सूक्तिम की एक गोली दो से तीन बार पानी से लें। वोमिटैब और सूक्तिम गर्भवती भी ले सकती हैं।
मोरपंख की भस्म की एक चुटकी शहद में मिलाकर दिन में एक से दो बार लें।
केले के गूदे में चीनी मिलाकर थोड़ा सा खा लें।
चावल की फीकी खील 20-25 ग्राम, दो-तीन ग्लास पानी में पांच-दस मिनट उबालें। ठंडा होने पर थोड़ा-थोड़ा कर पी लें।
दूध को फाड़कर छान लें। इसके पानी में थोड़ी मिश्री डालकर थोड़ा-थोड़ा पिलायें। जी मिचलाना बंद हो जाएगा।
नींबू को बीच से काटकर सेंधा नमक व काली मिर्च का पाउडर उसके अंदर भरें। इसे सेंक लें और फिर चूसें।
सफर के दौरान उल्टी होने पर लौंग व मिश्री चूसने से आराम आता है।
सफर में उल्टी हो तो नीबू पर नमक व चीनी डालकर चूस लें।
एक तौला हरी गिलोय की डंडी आधा किलो पानी में पकायें। आधा रह जाए, तो थोड़ा शहद मिलाकर पी लें।
सूखी उबकाई आ रही हो या जी मिचला रहा हो तो बर्फ का टुकड़ा चूस लें। इससे उबकाई खत्म हो जाती है।

हैजा
इसमें उल्टी और दस्त दोनों हो सकते हैं।
ज्यादा मोशन हों, तो एक गोली कुटज पर्पटी या एक गोली कुटज घनवटी का पाउडर दाढि़माष्टक चूर्ण के साथ मिलाकर पानी से लें।
आमपाचक वटी ले सकते हैं।
दस्त रोकने के लिए दाडि़माष्टक चूर्ण आधा चम्मच दिन में दो बार पानी से लें।
सौंठ का पाउडर या त्रिकटु पाउडर काली मिर्च, पीपली व सौंठ की छोटी चम्मच थोड़े से गुनगुने पानी से लें।
उबला हुआ सेब या सेब का जूस लें।
दूध बिल्कुल न लें।
ताजा दही में डालकर इसबगोल की भूसी लें।
सूजी को भूनकर पानी में उबाल लें। इसे दही में डालकर लें।

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