बुधवार, 25 जुलाई 2012

डिप्रेशन करता महिलाओं को गोल्डन एज में ओल्ड

पिछले कुछ सालों में बेशक महिलाओं ने बहुत प्रोग्रेस की है और उनकी पोजिशन में, चेंज भी बहुत आया है, लेकिन इसी के साथ ब-सजय़ी है उनकी टेंशन। इसी का नतीजा है कि बीते 40 सालों में महिलाओं में डिप्रेशन डबल हो गया है।

विमेन हेल्थ पर आयी एक स्टडी में पता लगा है कि घर और काम के डबल बो-हजय की वजह से पुरुषों के मुकाबले महिलाएं

मैरिड विमेन

होम्योपैथिक फिजिशियन और स्ट्रेस काउंसलर डॉ. यात्री ठाकुर इससे कतई हैरान नहीं हैं। उनका मानना है कि हर जगह खुद को परफेक्ट साबित करने के चक्कर मंे महिलाएं खुद से ही बहुत उम्मीद करने लगती हैं और इनके पूरे न हो पाने का नतीजा होता है डिप्रेशन।

बकौल डॉ. यात्री, आजकल हरेक महिला मल्टीटास्कर बनकर हर जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से निभाना चाहती है। जाहिर है, ऐसे में उसके पास अपने लिए कतई वक्त नहीं बचता। इसके अलावा, महिलाएं अक्सर हार्मोनल इंम्बैलेंस का शिकार होती हैं, जिस वजह से उन्हें मूड स्विंग की प्रॉब्लम भी रहती है।

वैसे, डॉ. यात्री की मानें तो आजकल की शादीशुदा महिलाएं, जिनके बच्चे भी हैं, उन्हें सबसे ज्यादा स्ट्रेस और प्रॉब्लम्स रहती हैं। दरअसल, उनके आगे वर्क प्रेशर, इन लॉज की डिमांड, सपोर्ट नहीं करने वाला हसबैंड, फाइनेंशल डिफिकल्टीज और बच्चों की हेल्थ व एजुकेशन जैसी तमाम परेशानियां होती हैं।

यही नहीं, अगर कोई महिला लिव इन रिलेशनशिप से ब्रेकअप वाले फेज से गुजर रही हैं, तो उस दौरान उसे डिप्रेशन होने के सबसे ज्यादा चांस होते हैं।

सिंगल विमेन

देखा जाए, तो आजकल की स्मोक और डिंªंक करने वाली महिलाओं की मॉडर्न जेनरेशन की लाइफ में रिलेशनशिप से जुड़ी परेशानियां ब-सजय़ गई हैं। वहीं पहले की महिलाओं में एनेक्सिटी, इटिंग डिस्ऑर्डर और इनसोमनिया जैसी प्रॉब्लम्स ज्यादा हुआ करती थीं। हालांकि आजकल की महिलाएं डिप्रेशन और स्ट्रेस को लेकर पहले से ज्यादा अवेयर हो गई हैं। बावजूद इसके, मैरिड विमेन के अलावा सिंगल महिलाओं को भी ज्यादा डिप्रेशन हो रहा है।

सायकॉलजिस्ट मानसी हसन बताती हैं, आजकल यंग वुमन पर एकेडमिक और कैरियर समेत तमाम बर्डन हैं। इस वजह से वे देर से शादी करती हैं, लेकिन ज्यादा उम्र तक कंुवारी रहने की वजह से उन्हें प्रॉब्लम हो जाती हैं। 25 से 30 उम्र की तमाम सिंगल विमन अकेलेपन का शिकार हो जाती हैं, क्योंकि अपने लंबे वर्किंग ऑवर्स की वजह से उनके पास रोमेंटिक रिलेशनशिप या शादी के लिए वक्त ही नहीं होता। इसके अलावा, जंक फूड खाने, प्रॉपर फूड अवॉइड करने और एक्सरसाइज व नींद पूरी नहीं कर पाने की वजह से उनकी फिजिकल हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ रहा है।

डॉ. हसन के मुताबिक, जॉब्स की तलाश में अपनी फैमिली व फ्रेंड्स से दूर बड़े शहरों का रुख करने वाली लड़कियों को डिप्रेशन होने के चांसेज ज्यादा रहते हैं।

बैलेंस रखिए

एक नामी कंपनी में काम करने वाली सिविल इंजीनियर सुषमा रेड्डी इस बात से सहमत हैं। वह कहती हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारतीय महिलाएं काम और घर के बीच पिसती हैं। इस वजह से उन्हें कहीं न कहीं डिपे्रशन हो जाता है। सुषमा के मुताबिक, आजकल की महिलाओं पर एक वक्त में तमाम तरह के प्रेशर रहते हैं। इनमें काम व दूसरों से बेहतर दिखने का प्रेशर जैसी वजहों से महिलाएं आसानी से डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। इसके अलावा, लुक्स व फिगर में अच्छी न होने वाली लड़कियों के डिप्रेस्ड होने के सबसे ज्यादा चांसेज रहते हैं।

इन पर भी दें ध्यान

दरअसल, आजकल तमाम लड़कियां यंग और ब्यूटिफुल बने रहने के लिए पतली कमर चाहती हैं। ऐसे में, मोटी और खराब फिगर वाली लड़कियांे का फ्रस्टेट होना स्वाभाविक है।

इन तमाम प्रॉब्लम्स के सोल्यूशन के लिए एक्सपर्ट बताते हैं, आजकल की मुश्किल भरी जिंदगी में फ्रस्टेट होने से बचने के लिए महिलाओं को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि सबसे पहला, लाइफ को लेकर अपना गोल क्लियर करें, अपने आप पर उम्मीदों का बो-हजय न लादें और इमोशनल क्राइसिस में प्रफेशनल्स की मदद लें।

अगर आप भी किसी ऐसी स्थिति से गुजर रही हैं तो ये बातें आपके लिए बहुत फादेमंद हो सकती हैं डिप्रेशन को दूर करने में।

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