गुरुवार, 30 जनवरी 2014

कैंसर बन जाएं जब आपका साया

 
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो न सिर्फ रोगी के शरीर को नुकसान पहुंचता है बल्कि यह उसके दिमाग, भावनाओं और सामाजिक जीवन को भी नुकसान पहुंचा सकता है। कैंसर का पूरा इलाज कराने के बाद जब रोगी ठीक हो जाता है तब भी उसे अपनी पूरी दिनचर्या और जीवनशैली दोनों में ही बदलाव लाने की जरुरत होती है। आइयें जानते है कि कैंसर रोगी को कैसे कैंसर के बाद अपने जीवन में बदलाव लाने चाहिए। 
 
खुश रहने का करें प्रयास :
 
अक्सर कैंसर रोगी इस बीमारी को हराने के बाद भी इस समस्या के दुबारा जन्म लेने के डर से दुखी या स्ट्रेस में रहने लगता है। कैंसर के रोगी को खुश रहने की जरुरत है। याद रखें कि कैंसर से होने वाली जंग केवल इलाज से नहीं जीती जा सकती है इसके लिए आपको आत्मशक्ति की जरुरत है। खुश रहें और कैंसर को अपने जीवन के एक बुरे पड़ाव के रूप में मान कर एक नए तरीके से जीवन की शुरुआत करें। 
 
अपने अनुभव को बनाये अपना बल :
 
कैंसर से निपटने के बाद आपसे आपके इस अनुभव के बारें में बहुत से लोग बात करेंगे। हर बार जब भी आप अपने अनुभव को किसी से शेयर करें तो उसे बताते समय फक्र महसूस करें। आपने कैंसर को हरा कर बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है जिसे किसी से शेयर करने में घबराएं नहीं। 
 
परिवार के साथ बिताएं समय :
 
अपने परिवार द्वारा दियें जाने वाले केयर का आदर करें। उनकी केयर को दया का न समझे बल्कि उसका आनंद उठायें। अपने परिवार के साथ समय बिताये और फिर से अपने रिश्तों को मधुर बनाने का प्रयास करें। 
 
 
शरीरिक बदलावों को अपनाएं :
 
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उम्र के बढ़ने पर हमारे शरीर में बहुत से बदलाव आते है और हर बदलाव को हमने अपने जीवन में अपनाया है। जब हमने अपने पुरे जीवन में बदलावों को अपनाया है तो कैंसर के बाद भी होने वाले शारीरिक बदलावों का हमने आदर करना चाहिए। 
 
 
सुधारें अपनी जीवनशैली :
 
कैंसर के बाद स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना बेहद जरुरी है। धूम्रपान और एल्कोहल से दुरी रखें और पौष्टिक भोजन का सेवन करें।  ताकि आप स्वस्थ रेह सकें। दिनचर्या में सुधार लाएं और अपने जीवन में बदलाव को देखें। 
 
दवाइयों और टेस्ट को न भूले :
 
कैंसर को हारने का यह अर्थ नहीं है कि कैंसर आपको कभी भी तंग नहीं करेगा।  कैंसर के दुबारा आने कि आशंकाएं हमेशा बनी रहती है।  इसलिए अपने टेस्ट और दवाइयों का नियमित सेवन करते रहें। जागरूक रहें और अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। 
 
कैंसर जीवन का अंत नहीं है इसके साथ भी जिया जा सकता है बस रोगी को अपने जीने की को ख़त्म नहीं होने देना है। 

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