गुरुवार, 12 सितंबर 2013

डेंटल केयर और बच्चे

हम सभी को ऐसा लगता है कि  बच्चे कितनी भी टोफ्फी या चॉकलेट खा सकते है। और अगर इसे खाने की वजह से उनके दांत सड़ भी जाये तो घबराने की कोई आवश्यकता नही है क्यों कि उनके ख़राब हुए दांत टूट कर नए आएंगे ही। पर क्या वाकई में हमारी ये सोच ठीक है? शायद नहीं। दांत चाहे दूध के हो या परमानेंट हो, उसकी देखरेख और केयर करना बेहद जरुरी है। आइये जानते है क्यों :

हम सभी जानते है कि हम मनुष्यों के दो बार दांत आते है। एक दूध के और दूसरे परमानेंट। जहाँ दूध के दांत टूटने के बाद नए दांत आ सकते है वहीँ दूसरी यदि परमानेंट दांत टूट जाएँ तो उसके दुबारा आने की सम्भावना बिलकुल भी नहीं होती है। अक्सर माता -पिता परमानेंट दांत आने की सम्भावना के कारण ही बच्चो को मीठा, तला खाना खाने की छूट दे देते है। कई अभिभावक तो बच्चों को जबरदस्ती मीठा खिलाते है। उनके अनुसार, अगर बचपन में मीठा नहीं खायेंगे तो फिर कब खायेंगे ? पर ख़राब दूध के दांतों के टूटने के बाद बच्चे के परमानेंट दांत स्वस्थ आयेंगे इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है।

महत्त्व को समझे :

इस मूल मन्त्र को जान ले कि यदि बच्चे के दूध के दांत सड़ जाएँ तो उसके परमानेंट दांत भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते है। इसलिए आज से ही अपने बच्चे को मीठा और तैलीय भोजन खिलाना बंद करें।

कैसे करें केयर :

बेसिक ब्रशिंग

जिस तरह एक एडल्ट को दिन में दो बार ब्रश करना जरुरी है ठीक उसी तरह अपने बच्चे को दिन में कम से कम दो बार ब्रश करवाएं। जब तक आपका बच्चा खुद से दांत साफ़ करना नहीं सीखता है तब तक आप उसे स्वयं ब्रश कराएँ। इसके लिए आपको हर रोज अपने बच्चे को ब्रशिंग तकनीक सिखानी होगी।

मीठे से करें परहेज़

अक्सर बच्चो को मीठा पसंद होता है. मगर यह जरुरी है कि  आप अपने बच्चे को मीठे (चॉकलेट, टोफ्फी, आइस-क्रीम, कोल्ड ड्रिंक, आदि) खाद्य पदार्थ न दे। यदि आपका बच्चा इसे खाता है तो उसके दांतों को तुरंत साफ़ करना न भूले।

टूथपेस्ट का प्रयोग

अक्सर अभिभावक बच्चो को टूथब्रश तो दे देते है मगर उस पर टूथपेस्ट का प्रयोग नहीं करते है। मगर हमेशा बच्चे को टूथपेस्ट लगा कर ही ब्रश कराएँ। आप बच्चो को सामान्य टूथपेस्ट देने की बजाय बाज़ार में मिलने वाले बच्चो के टूथपेस्ट का ही प्रयोग करें। यह टूथपेस्ट बिना शुगर के होते है। और यदि बच्चा ब्रश करते समय इस टूथपेस्ट को खा भी जाएँ तो घबराने को कोई आवश्यकता नहीं होती है। 

 नियमित जांच कराएँ:

बच्चे के दांतों की नियमित जांच कराएँ। आपके बच्चे के दांत बचपन में जितने स्वस्थ रहेंगे उन्हें बड़े होने पर दांतों की उतनी ही कम परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। 

अपने बच्चे की मुस्कराहट में चार चाँद लगाये और उसे डेंटल केयर के बारें में विस्तार से समझाएं।  

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