बुधवार, 1 जून 2011

साँसों की डोर

हमारी साँसे वे डोर है जो हमें जीवन से जोड़े रहती है. अर्थात जब तक साँसे चलती है तब तक जीवन चलता रहता है. सबसे आसन और निरंतर चलने वाली यह प्रक्रिया जितनी आसन दिखती है, उतनी ही महत्वपूर्ण भी है. आइये आधिक जानते जानकारी पाते है.

योग गुरु सुनील सिंह के अनुसार, "श्वसन प्रक्रिया यानी सांस लेना एक जरुरी मगर एक विशिष्ट प्रक्रिया है, जो सामने धारा की तरह चलती रहती है. मगर हर व्यक्ति सावधानीपूर्वक भी सांस लेने की इस प्रक्रिया को कर सकता है. हम सभी जानते है की यह प्रक्रिया बेहद जरुरी है. आपको यह जानकार हैरानी होगी मगर साँसे हमारे शरीर के प्रत्येक सैल और हर गतिविधि को प्रभावित करती है."


क्यों है जरुरी :

सांसो की प्रक्रिया सही और दुरुस्त हो, यह हर व्यक्ति के लिए जरुरी है. यदि आप सही ढंग से सांस लेते है तो आपका शरीर और मस्तिष्क दोनों ही सवास्थ रहेंगे.


सही प्रक्रिया से मिलने वाले लाभ :



  • इससे हृदय मजबूत बनता है.


  • यह शरीर में ऊर्जा का संचार करती है और शारीरिक गतिविधियों को करने में सहायता करती है.


  • सम्पूर्ण स्वास्थ्य में सुधार करने में सहायक होती है.


  • तनाव को कम करती है.


  • थकान दूर करती है.


  • लम्बी आयु और स्वस्थ जीवन जीने में सहायक होती है.

कैसे करें सुधार :


अब प्रश्न यह उठता है कि यदि साँसों कि प्रक्रिया गलत है तो उसमे सुधार कैसे लाया जाये? इस पर प्रकाश डालते हुए योग गुरु सुनील सिंह ने बताया है कि हमेशा लयबद्धता के साथ धीरे-धीरे और लम्बी साँस ले. अगर आप नियमित रूप से प्राणायाम का अभ्यास करते है तो आपकी साँस लेने की गलत प्रक्रिया में सुधार लाया जा सकता है.


गलत प्रकिया के कुप्रभाव :


हमने सही प्रक्रिया के बारें में तो चर्चा कर ली. आइये अब गलत या अनियमित ढंग से ली गयी सांसों के कुप्रभाव पर भी एक नज़र डालते है. गलत ढंग से ली गयी सांसो से मस्तिष्क की लयबद्धता बाधित हो सकती है. साथ ही शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक विकास में भी रूकावट पैदा हो सकती है. ऐसा कहना है योग गुरु सुनील सिंह का.


अंत में हमें योग गुरु सुनील सिंह ने बताया है कि "नियमित रूप से योग का अभ्यास करने से सम्पूर्ण स्वास्थ्य को लाभ मिलता है. यहाँ तक कि यह अस्वस्थ शरीर में भी यह स्वास्थ्य का संचार करने में सहायक साबित होता है.

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