
- माइग्रेन रोगी नियमित रूप से डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाइयों का सेवन करें।
- अचानक से तापमान बदलाव के संपर्क में न आयें।
- वैकल्पिक चिकित्सा की मदद लेना बंद करें।
- समय समय पर डॉक्टर की सलाह लेते रहें।
- हर रोज करीब छ: से आठ घंटे की नींद ले।
- योग, ध्यान और मार्निग वॉक ऐसे कुछ तरीके है जो आपको स्वस्थ रखने में मदद करते है।
- खराब जीवनशैली भी आपको माइग्रेन का शिकार बना सकती है (विशेष रूप से खाना न खाने या समय पर न खाना न खाना)। माइग्रेन रोगी को व्रत करने और फैट्स युक्त भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए।
- तेज गंध वाले परफ्यूम आदि का प्रयोग न करें।
- स्ट्रेस माइग्रेन को बढ़ता है इसलिए खुश रहने का प्रयास करें और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं।
- तेज धूप के संपर्क में आने से बचें। जब भी बहार जाएँ सनग्लासिस और छतरी का प्रयोग करें।
- पैन किलर दवाइयों का लम्बे समय तक प्रयोग करने से बचें।
- जैसे ही दर्द के लक्षण दिखे पैरासिटामोल या एस्प्रिन का सेवन कर सकते है। यह दोनों ही दवाइयां बहुत प्रभावी है। ध्यान दे कि सोलह साल से कम उम्र में एस्प्रिन का सेवन न करें।
माइग्रेन केवल वंशानुगत कारणों से नही होता है इसलिए जीवनशैली को दुरुस्त रखने का प्रयास करें।
(डॉ प्रवीण गुप्ता, कंसल्टेंट न्यूरोलोजी, आर्टिमिस हेल्थ इंस्टिट्यूट, गुडगाँव)